पिछले 6 वर्ष में देश भर से 25 लाख से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं. ये आधिकारिक आंकड़े हैं जो दर्ज हुए हैं.
जो संख्या पुलिस थानों तक नहीं पहुंची है, उस हिसाब से गायब होने के आंकड़े कहीं ज्यादा हैं.
6 साल यानी की 2191 दिन के हिसाब से देखें तो हर दिन 1167 बालिकाएं एवं महिलाएं गायब होती रही हैं. इनमें से सिर्फ 13,72,635 बालिकाओं और महिलाओं को ही पुलिस तलाश सकी है.
मतलब की रोज गायब हुई 1167 महिलाएं, लेकिन पुलिस हर दिन महज 626 लापता को ही खोज सकी.
मध्यप्रदेश लापता बहन-बेटियों के मामले में देश में अव्वल है. संसद में पेश किए गए डाटा के मुताबिक मध्यप्रदेश में 1.60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता दर्ज की गई हैं.
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने इन आंकड़ों को पटल पर रखा है.
एक तरफ तो सरकार, महिला सुरक्षा के तमाम दावे करती है. विभिन्न परियोजनाएं लॉन्च करती है. फिर भी 25 लाख महिलाएं 6 साल के भीतर गायब हो जाती हैं और हर तरफ सन्नाटा पसरा रहता है.
25 लाख महिलाओं का गायब होना, क्या फाइल में दर्ज होने वाला आंकड़ा भर है ?
सरकार इसकी जवाबदेही क्यों नहीं लेती ?
महिला हिंसा रोकना और महिला सुरक्षा के बारे में सरकार सिर्फ चुनावी बयानबाजी करती है लेकिन इसे योनि प्राथमिकताओं में क्यों नहीं रखती ?
जबकि सबको पता है की मानव तस्करी,लापता होती महिलाओं-लड़कियों के पीछे की एक बड़ी वजह है.इन महिलाओं को दूसरे देशों में ढोड डांगर की तरह पहुंचा दिया जाता है. सेक्स स्लेव,सेक्स वर्कर बना दिया जाता है.खरीद फरोख्त कर जबरन बेमेल शादियां कराई जाती हैं.
फिर भी सरकार समाज के माथे, शिकन क्यों नहीं पड़ती?
मीडिया में कोई डिबेट या को प्राइम टाइम क्यों नहीं होता?
कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती, ना ही सरकार की तरफ से कोई कारगर कदम ही उठाए जाते हैं. कभी किसी सांसद सदस्य ने सवाल कर लिया तो लाखों लाख लापता हुई महिलाएं, महज एक "डेटा" के तौर पर कागजों में पेश कर दी जाती हैं.
क्या करेंगे हम " $5 TRN" का देश बनकर, जहां आधी आबादी के होने ना होने से किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता!!
किसी भी समाज की प्रतिष्ठा इससे बनती है कि वह नारी सम्मान के प्रति कितना सचेत और संवेदनशील है.
गायब होती लड़कियों और महिलाओं की बड़ी संख्या यही बताती है कि भारतीय समाज उनके प्रति क्रूर है.
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