तुम ही कहो ........
की नयी उल्फत में कैसे मैं ......अपनी जात को गुम कर दूँ...
की अभी वो दर्द बाकी है....अगरचे वक़्त मरहम है......
फिर भी....वक़्त लगता है...किसी को भूल जाने में...
की मेरे जिस्म ओं वज्दां में...अभी वो फर्द बाकी है.....
अभी उस शख्स की मुझ पर..... निगाह ए सर्द बाकी है.....
अभी वो दर्द बाकी है............
की नयी उल्फत में कैसे मैं ......अपनी जात को गुम कर दूँ...
की अभी वो दर्द बाकी है....अगरचे वक़्त मरहम है......
फिर भी....वक़्त लगता है...किसी को भूल जाने में...
की मेरे जिस्म ओं वज्दां में...अभी वो फर्द बाकी है.....
अभी उस शख्स की मुझ पर..... निगाह ए सर्द बाकी है.....
अभी वो दर्द बाकी है............
good one ...
ReplyDeleteRUBY mam bahut dard hai chipa hai in alfaason mein. jaise lagta hai, kisi ka intezaar kar raha hai koi aane wali raho mein.....
ReplyDeleteदर्द के साथ साथ जीने का मज़ा कुछ और ही है.....अपना ये दर्द मेरे साथ बाँट सकती हैं आप.......खुशनसीब समझूंगा मैं खुद को......
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