Ruby Arun

Saturday 10 September 2011

दर्द बाकी है..

तुम ही कहो ........
की नयी उल्फत में कैसे मैं ......अपनी जात को गुम कर दूँ...
ी अभी वो दर्द बाकी है....अगरचे वक़्त मरहम है......
फिर भी....वक़्त लगता है...किसी को भूल जाने में...
की मेरे जिस्म ओं वज्दां में...अभी वो फर्द बाकी है.....
अभी उस शख्स की मुझ पर..... निगाह ए सर्द बाकी है.....
अभी वो दर्द बाकी है............

3 comments:

  1. RUBY mam bahut dard hai chipa hai in alfaason mein. jaise lagta hai, kisi ka intezaar kar raha hai koi aane wali raho mein.....

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  2. दर्द के साथ साथ जीने का मज़ा कुछ और ही है.....अपना ये दर्द मेरे साथ बाँट सकती हैं आप.......खुशनसीब समझूंगा मैं खुद को......

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