Ruby Arun

Tuesday 28 November 2023

उत्तराखंड सिलकारा सुरंग हादसा, सरकार की मनमानी और लापरवाही है वजह

 पूरे 16 दिनों तक सुरंग में फंसे होने के बाद आज 41 जिंदगियां खुली हवा में सांस ले सकेंगी. खबर तो यही है कुछ ही देर में सभी मजदूर भाई सकुशल बाहर निकाल लिए जाएंगे...


पर यहां एक सवाल बड़ा ही मौजूं है की आखिरकार इस सुरंग को यहां, इस तरह बनाया ही क्यों जा रहा है.


"महज एक व्यक्ति की जिद की वजह से, क्योंकि वो चार धाम ऑल वेदर रोड बनवाने का क्रेडिट लेना चाहता है?"


याद कीजिए जम्मू कश्मीर हाई वे ऑल वेदर रोड को. जो एक बारिश भी नहीं झेल सका और जमींदोज हो गया.

उत्तराखंड के पहाड़ छोटे-छोटे पत्थरों से, मिट्टी से जुड़कर बने हैं. यहां के पहाड़ मजबूत नहीं हैं. यहां पहाड़ों के अंदर पानी के स्रोत मिलना आम बात है.  इसलिए इन इलाकों में अमूमन हाथों से ही खुदाई की जाती है, मशीनों से नहीं.


60 साल पहले इस जगह पर टनल बनाने के लिए सर्वे हुआ था,लेकिन पहाड़ों के भीतरी हिस्से में पानी का स्रोत मिलने की वजह से सुरंग बनाने का काम रोक दिया गया. और फिर उसके बाद यमुनोत्री के लिए रास्ता बनाया गया था. क्योंकि अगर 60 साल पहले भी टनल बनाया जाता तो इस इलाके से फॉल्ट लाइन का गुजरने और ऊपर पहाड़ पर गंगा यमुना का कैचमेट एरिया होने की वजह से सुरंग बिल्कुल अभी की तरह ही धंस जाती और मक्जडून की जान जोखिम में फंस जाती.

आपको 2009 का तपोवन प्रोजेक्ट भी याद हो शायद.जहां ऐसी ही स्थितियां बन पड़ी थीं.

19 नवंबर को राष्ट्रीय राज्य मार्ग और सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव ने उभी बयान दिया था की उत्तरकाशी के टनल के कमजोर हिस्से में साढ़े चार साल से काम बंद था.तो जहां इस प्रकार की परेशानियां सामने आ रही थीं,वहां पर टनल बनाने की क्या मुसीबत आ पड़ी थी??


महज अपनी वाहवाही के लिए, 

अपनी पीठ थपथपाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के इंतजामों के बगैर, मजदूरों की जान जोखिम में डालकर क्यों इस सुरंग को बनाने का काम शुरू करवाया गया?


जवाब तो देना ही चाहिए सरकार को.

पर अन्य ज्वलंत सवालों की तरह इस प्रश्न का जवाब भी देश को नहीं मिलेगा...


हां, 41 दिनों तक सुरंग में दहशत भरा जीवन जीने वाले मजदूरों के रेस्क्यू को अपने सीने पर मेडल की तरह सजा कर डंका जरूर बजाया जाएगा 😔


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