15 महीने से सिर्फ "दिलासा" दिया
किया कुछ भी नहीं. लिहाजा फंदा, गले तक पहुंच गया...
यह #भारत_सरकार की #विदेश_नीति की #अग्निपरीक्षा की घड़ी है.
#मोदी_सरकार को #Qatar में फांसी की सजा पाए हुए हमारे 8 Ex #Navel_Officers को ना सिर्फ #फांसी की सजा से बचाना है बल्कि उन्हें भारत वापस भी लाना है.
यह कार्य इतना दुष्कर भी नहीं था हमारी सरकार के लिए. पर मसला ये है की सरकार ने इस संगीन मामले में तत्परता नहीं दिखाई .
30 अगस्त 2022 को इनकी गिरफ्तारी हुई और 29 मार्च 2023 से कतर के कानून के मुताबिक इन सभी के सभी अफसरों के खिलाफ ट्रायल की शुरुआत हुई.
26 अक्टूबर 2023 को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुना दी गई.
ये 29 मार्च 2023 से 26 अक्टूबर 2023 का 6 महीने के ट्रायल का जो वक्त था भारत सरकार के हाथ में– तो इस दरम्यान हमारे भारतीय पूर्व नौसैनिकों को कतर के कानूनी गिरफ्त से बचाने की कोशिश क्यों नहीं की गई ?
जबकि पूर्व #नौसैनिकों के घरवालों ने सरकार से बार बार , लगातार गुहार लगाई. फरियाद की. फिर भी इस दिशा में सकारात्मक कोशिश करने में सरकार चूक गई ?
इसे घोर अनदेखी और लापरवाही कहा जाए या जान बूझ कर किया गया "कारनामा" ?
आज विदेश मंत्री जयशंकर ये कह रहे हैं की इस फैसले से वे गहरे "सदमे" में हैं!!
पर पूर्व नौसैनिकों के परिवारजनों को आपके "सिर्फ" सदमा महसूस करने से राहत नहीं मिलेगी जयशंकर साहब. उन्हें अपने परिवारजनों की सुरक्षित वापसी चाहिए.
तकरीबन 9 साल पहले #Qatar ने #Philippines 3 नागरिकों को भी इसी तरह से #मौत की सजा सुनाई गई थी.
इनमें से एक नागरिक #Qatar जनरल पेट्रोलियम में काम करता था.
जबकि बाकी के दो कतर #Airforce में थे.
इन पर आरोप था कि वायुसेना में काम करने वाले दोनों नागरिक कतर जनरल पेट्रोलियम में काम करने वाले नागरिक को खुफिया जानकारी देते थे, जहां से उसे #Philippians पहुंचा दिया जाता था.
इसे राष्ट्रीय सुरक्षा #गद्दारी करार दिया गया था. इसलिए फिलिपींस के उस नागरिक को मौत की सजा सुनाई गई थी, जो कतर पेट्रोलियम में काम करता था, जबकि एयरफोर्स के दो नागरिकों को 25 साल की सजा सुनाई गई.
लेकिन फिलिपींस सरकार ने तुरंत इस मामले में अन्य कानूनी विकल्पों पर त्वरित कोशिशें और कार्रवाई शुरू कर दी.
कतर की ऊपरी अदालत में मौत की सजा के फैसले को लेकर अपील की गई और कोर्ट ने मौत की सजा कम करके उसे आजीवन कारावास में बदल दिया था.
वायुसेना के दो अन्य आरोपियों को भी 25 साल की सजा घटाकर 15 साल कर दी गई थी.
हालांकि अब, जब भारतीय पूर्व नौसैनिकों को मिली मौत की सजा के मामले ने तुल पकड़ा है तो भारत सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक जो भी विकल्प हैं, उन पर काम करना शुरू कर दिया है.
पर चूंकि भारत सरकार ने इस मामले में इतनी देर कर दी है की अब उसके पास विकल्प सीमित रह गए हैं.
पहला विकल्प तो ये है कि कतर की उच्च अदालत में अपील की जाए और नागरिकों को बचाने की कोशिश की जाए.
हालांकि, जिस देश में एक व्यक्ति का ही शासन चल रहा है,वहां यूरोपीय देशों की तरह अदालतें काम नहीं करतीं.
इसलिए यह विकल्प उस देश के हिसाब से मुश्किल होगा.
दूसरा विकल्प हमारे पास अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने का है और तीसरा रास्ता कूटनीति का है.
लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल वक्त की है. कूटनीतिक विकल्पों पर विचार करने का हमारे पास समय नहीं है .
और ऐसे में बस एक ही रास्ता बचता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद, सीधे तौर पर कतर के शासक से बात करें और हमारे भारतीय आठ पूर्व नौ सैनिकों की रिहाई की शर्त रखें.
मोदी जी ने अपने बयानों में कई बार यह बात कही है कि उन्होंने कतर को मुश्किल वक्त में भारत की तरफ से मदद पहुंचाई है.
मोदी जी के व्यक्तिगत रिश्ते भी कतर के शासक के साथ बहुत अच्छे रहे हैं– इस बात का "डंका" भी कई बार बजाया गया है.
मौत की सजा पाए 8 लोगों में शामिल कमांडर (रिटायर्ड) पुर्नेंदु तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने भी सभी आठ भारतीयों को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से "व्यक्तिगत हस्तक्षेप" की मांग की है.
मीतू भार्गव ने पिछले साल अक्टूबर में उन लोगों की रिहाई के लिए मोदी सरकार से मदद मांगी थी.
मीतू , दिल्ली में संसद भवन आकर देश के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिली थीं.
पर नतीजा सिफर रहा......... 🔔 🔔
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