Ruby Arun

Friday 1 August 2014

जो गुजरे तेरी यादों में

आगाज़ जो हो तेरे हाथों से.......अंजाम मुकम्मल हो जाए ,
मेरा नाम जुड़े तेरी हस्ती से,.....मेरा नाम मुकम्मल हो जाए ...
मैं दिन भर भटका करती हूँ...., लम्हों की सूनी बस्ती में ..
जो गुजरे तेरी यादों में .......वो शाम मुकम्मल हो जाए.......

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