Ruby Arun's World
Ruby Arun
Friday, 1 August 2014
उसका अक्स
वो ऊपर अपने आसमान में टंगा था
और उसका अक्स मेरे अन्दर समाया था
वो ठहरा रहा...
रात उबासियाँ लेती रही
हम एक दुसरे की ज़मीन नापते रहे
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