सुन री सखी ...
अगर दिल किसी से लगाया ना होता ,
ज़माने ने हमको मिटाया ना होता !
गिराना ही था तूने आंसू समझ के ,
तो नजरों से हमको गिराया ना होता !
मुकद्दर में अगर यही रुस्वाइयां थी ,
तो महफ़िल में तेरी आया न होता !
गर तेरे दामन की हसरत ना होती ,
तो यूँ जिंदगी को लुटाया ना होता....
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