Ruby Arun

Friday 18 October 2013

जब से मिले हो तुम

मेरे मीत ,
जब से मिले हो तुम 
मन पुन: झंकृत हो उठता है
टूटे जीवन तारों से एक बार फिर 
स्वर लहराए है ...
जीवन का रस लौट आया है 
दिल के सूनेपन में एक बार फिर
पूर्णता आ गई है ..
ऐसा लगता है कि एक बार फिर
मैं आशा बनी हूँ
एक बार फिर मैं अपने खोये
' अनुत्व ' को पा गई हूँ
एक बार फिर मैं
सिर्फ तुम्हारी और बस
तुम्हारी मौलश्री
बन गई हूँ .....

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