मेरे मीत ,
जब से मिले हो तुम
मन पुन: झंकृत हो उठता है
टूटे जीवन तारों से एक बार फिर
स्वर लहराए है ...
जीवन का रस लौट आया है
दिल के सूनेपन में एक बार फिर
पूर्णता आ गई है ..
ऐसा लगता है कि एक बार फिर
मैं आशा बनी हूँ
एक बार फिर मैं अपने खोये
' अनुत्व ' को पा गई हूँ
एक बार फिर मैं
सिर्फ तुम्हारी और बस
तुम्हारी मौलश्री
बन गई हूँ .....
जब से मिले हो तुम
मन पुन: झंकृत हो उठता है
टूटे जीवन तारों से एक बार फिर
स्वर लहराए है ...
जीवन का रस लौट आया है
दिल के सूनेपन में एक बार फिर
पूर्णता आ गई है ..
ऐसा लगता है कि एक बार फिर
मैं आशा बनी हूँ
एक बार फिर मैं अपने खोये
' अनुत्व ' को पा गई हूँ
एक बार फिर मैं
सिर्फ तुम्हारी और बस
तुम्हारी मौलश्री
बन गई हूँ .....
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