मेरे मीत ,
जीवन का सूनापन जो
आज है
शायद कभी नहीं होता
मैं कभी भावना नहीं बन पाती
दिल कभी खिला नहीं होता
अगर तुम्हारा साथ मिला नहीं होता ...
मैं पत्थर थी , मुझे संवारा तुमने ,
मैं धूल थी , मुझे उठाया तुमने
पूछती हूँ मैं , क्या मिला तुझको ,
इस तरह मुझ पाषाण को इंसान बनाकर ...
मैं जी रही थी अकेली
मेरे साथी आखिर क्यूँ ???
क्यों ना साथ निभाया तुमने
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