Ruby Arun

Friday 18 October 2013

तुम्हारे पास बेहद हंसी है , एक अंजुरी भर दे दो ..

सुन री सखी , तुम्हारे पास बेहद हंसी हैं , एक अंजुरी भर दे दो ! पर , बदले में कुछ ना माँगना , मेरे पास सिर्फ उदासी है ... मेरे पास सिर्फ उदासी है .. ऐसा क्यूँ है ..... ? न आकाश बताता है कुछ और न ही सागर और जब आता है बसंत , तो सूखे पत्ते उगने लगते है , मेरे भीतर -- पत्तों को हरा कर सकती है तुम्हारी हंसी .... सिर्फ तुम्हारी हंसी ... तुम्हारे पास बेहद हंसी है , एक अंजुरी भर दे दो .. पर बदले में कुछ ना मांगना , मेरे पास सिर्फ उदासी है .....

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