दो डीजीपी की जंग में शहीद हो रहे जवान |

76 जवानों की लाशों से पटी रायपुर की ज़मीन पर एक तऱफ तो पुलिसवाले राज्य की महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी के साथ झूम-झूमकर ग़ज़ल का लुत्फ उठाते रहे और दूसरी तऱफ सीआरपीएफ के जवान नम आंखों और भरे मन के साथ अपने शहीद साथियों की लाशें उनके परिजनों तक पहुंचाने की जद्दोजहद करते रहे.
राज्य पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन तो 6 अप्रैल को नक्सलियों द्वारा की गई दिल दहला देने वाली वारदात से ही अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. वह सा़फ तौर पर कहते हैं कि उस दिन जो कुछ भी हुआ, वह सीआरपीएफ की ज़िम्मेदारी है, न कि राज्य पुलिस की. विश्वरंजन फरमाते हैं कि सीआरपीएफ जिस ऑपरेशन को अंजाम देने निकली थी, दरअसल उसकी योजना छत्तीसगढ़ पुलिस ने पहले ही बना रखी थी. अब सीआरपीएफ ने अचानक अपनी योजना पर अमल कर लिया तो भला वह क्या कर सकते हैं?
यानी कि अगर विश्वरंजन के बयान के मुतल्लिक देखा जाए तो गृहमंत्री पी चिदंबरम भी झूठे हैं, क्योंकि उन्होंने तो यही बयान दिया है कि 6 अप्रैल को सीआरपीएफ ने जो ऑपरेशन किया, उसकी पूरी जानकारी और ज़िम्मेदारी आईजी बस्तर लौंग कुमार, डीआईजी दंतेवाड़ा नलिन प्रभात एवं एसपी दंतेवाड़ा अमरेश मिश्रा की थी. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन का ऐसा कहना क्या दर्शाता है, यह आप ही तय करें.
उनका तो यह आलम है कि वह नक्सलियों के ख़िला़फ चल रहे इस पूरे अभियान का नेता ख़ुद को साबित करने की जुगत में हर जोड़-तोड़ में लगे रहते हैं. लिहाज़ा इस बाबत कुछ भी बयान देने से वह बाज नहीं आते. चौथी दुनिया से हुई बातचीत में वह सा़फ कहते हैं कि ऑपरेशन ग्रीन हंट राज्य पुलिस की रणनीति है और इसे जारी रखने के लिए राज्य पुलिस पूरी गंभीरता के साथ लगी है. पर यह कैसी गंभीरता है कि वारदात के चौथे दिन ही रायपुर में राग-रागिनी की मह़िफल सजाई गई, जश्न मनाया गया और इस जलसे में मौज़ूद रहे राज्य पुलिस एवं प्रशासन के कई आला अधिकारी. कल्पवृक्ष रिसोर्ट नामक एक व्यवसायिक संस्था ने 10 अप्रैल को ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह का कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें न स़िर्फ समूचा पुलिस महकमा निमंत्रित था, बल्कि मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल भी. 76 जवानों की लाशों से पटी रायपुर की ज़मीन पर एक तऱफ तो पुलिसवाले राज्य की महिला बाल विकास मंत्री लता उसेंडी के साथ झूम-झूमकर ग़ज़ल का लुत्फ उठाते रहे और दूसरी तऱफ सीआरपीएफ के जवान नम आंखों और भरे मन के साथ अपने शहीद साथियों की लाशें उनके परिजनों तक पहुंचाने की जद्दोजहद करते रहे. सीआरपीएफ के विशेष निदेशक विजय रमण इस बात से बेहद आहत हैं और इस बात का भी ज़िक्र उन्होंने गृहमंत्री से किया है.
ज़ाहिर है कि दोनों पुलिस महानिदेशकों के बीच जारी इस रस्साकशी के दरम्यान छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह को भी इस बात का पूरा इल्म है, पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है. मंशा क्या है, यह तो रमन सिंह ही बता सकते हैं. पर इतना तय है कि दोनों पुलिस महानिदेशकों के बीच की इस खींचतान से कई और हादसे जन्म लेंगे.
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