या रब.......
बस इतनी ही इल्तजा है ....
तबियत मेरी तू तारों सी बनाये रखना.....
की जो..कभी फलक से टूट भी जाऊं ....
तो ज़मीं पे ना गिरुं .....हवाओं में ही कहीं गुम हो जाऊं .
बस इतनी ही इल्तजा है ....
तबियत मेरी तू तारों सी बनाये रखना.....
की जो..कभी फलक से टूट भी जाऊं ....
तो ज़मीं पे ना गिरुं .....हवाओं में ही कहीं गुम हो जाऊं .
No comments:
Post a Comment