शब् भर जली मोम की जाई ....जिस्म पिघलता रहा.......
रूह सियाह हुई.....तब कहीं जाके परवाना मिला........
और हुआ नाम अफ़सानों में शुमार.........
बड़े अजीब दस्तूर हैं इनके..........
ये नाम ओ शोहरत ......यू ही नहीं चले आते........
रूह सियाह हुई.....तब कहीं जाके परवाना मिला........
और हुआ नाम अफ़सानों में शुमार.........
बड़े अजीब दस्तूर हैं इनके..........
ये नाम ओ शोहरत ......यू ही नहीं चले आते........
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