Ruby Arun's World
Ruby Arun
Tuesday, 22 May 2012
इश्क और खुद्दारी की जात अलग होती है .
मेरे हबीब .......
तू नाराज़ है हमसे ......कि
तुझे चाहा तो बहुत हमने .....
पर दहलीज़ पर तेरे ....सजदा ना किया .....
मेरे महबूब.........
इतना तो समझ .....कि
इश्क और खुद्दारी ......दोनों की जात अलग होती है ........
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