Ruby Arun

Wednesday 30 May 2012

.सदियों से रूह प्यासी है .....


तेरी सूरत है....... मेरा आब -ए -जमजम ...
आ ...... कि सदियों से रूह प्यासी है ......
सांस की लौ धुआं होने को है ........
जख्म ताजा हैं........ जिस्म बासी है.......
मेरे लम्हों को उम्र बख्शी है ........
तुम्हारी याद तो खुदा सी है ......
बस कि दुश्वारी इक जरा सी है ......
आ भी जा ...कि...सदियों से रूह प्यासी है .....
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