Ruby Arun

Wednesday 19 October 2011

रिहाई माँगता है और ..........रिहा होने से डरता है .......


ना बस में ज़िन्दगी इसके ......ना अख्तियार मौत पर इसका .......
मगर इंसा फिर भी कब ....खुदा होने से डरता है ..........
अजब है ये क़ैद ...ज़िन्दगी की .....की दुनिया का हर इंसा ......
रिहाई माँगता है और ..........रिहा होने से डरता है .............

1 comment:

  1. Bahot behtareen khayal ...subhan allah.. Rihayi mangte hain sab par riha hone se darte hai ..

    ReplyDelete