था आँसुओं का समन्दर..... सा मेरे दरम्याँ..............
दिल खुल के जहाँ रो पड़ा.....दरिया बना दिया......
मंजिल तलक हम..... ना पहुँचे तो क्या हुआ...........
औरों के लिये तो हमने..... रास्ता बना दिया............
तैयार थे हम होने को...... इश्क में कुर्बान...........
सो ....पत्थर की करके परस्तिश..... हमने उसे खुदा बना दिया..........
wah! wah!! wah!!! iske baad mere pass koi aur sabd nahi hai....
ReplyDeletebhaut hi acha likhti hai aap
mere manana hai ki insana ki pachan
uski vichar sw hoti hai.
last but not lest
wah! wah!! wah!!
Bahut bahut Shukriya ....is Nawazish ka ......
ReplyDeleteDil say nikli har ek baat 'dua' hoti hain,
ReplyDeleteishq main kiya gaya har ek kaam 'khuda' ki hoti hain.
No doubt, your writing has power to attract d soul of each and every people....