Ruby Arun's World
Ruby Arun
Sunday, 2 October 2011
आदमी का आदमी से डरना क्या .
सरकती हुयी रेत है........बंद मुश्त से .....
वरना ....वक़्त का यूँ मुसलसल गुज़रना क्या .....
फ़क़त .....रोज़ी - रोटी की ही तो ...होती है फिक्र ....
वर्ना ......आदमी का आदमी से डरना क्या ..........
1 comment:
kamal kishlay
20 November 2011 at 22:03
yeah..true1 said..!!
~kk<3
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yeah..true1 said..!!
ReplyDelete~kk<3