Ruby Arun

Sunday 2 October 2011

तबाह हर कोई...



हो गया है अब..... जहाँपनाह हर कोई......
करता नहीं किसी की.......परवाह ....... हर कोई
हर किसी से मिल के..... हमने देखा लिया .....
इक दूसरे के हाथों है.... तबाह हर कोई.............

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