#धर्म के नाम पर भरपूर #अधर्म कर रहे हम 😔
एक बारीक सी बात है
जो सबके समझने की है, वो ये की #त्रेता_युग में #जय_श्रीराम का उद्घोष लंका युद्ध के समय किया गया था.
अगर आप #श्री_रामायण या #श्री_रामचरित_मानस पढ़ेंगे तो पाएंगे की #रावण पर आक्रमण से पहले और #लंका पर विजय हासिल करने के बाद ही #जय_श्रीराम का उद्घोष हुआ है.
बाकी पूरे त्रेतायुग में #सियापति_रामचंद्र_की_जय या #सियावर_रामचंद्र_की_जय की ही गूंज रही है.
भक्ति, जाप या भजन में भी सदियों से #राम_सियाराम_सियाराम_जय_जयराम का ही जाप,चिंतन,मनन होता रहा है.
क्योंकि यही चिंतन #प्रभु_राम के व्यक्तित्व की सौम्यता, उदारता और कोमलता का प्रतिनिधित्व करता है.
#भगवान_राम, #श्री_हरि_विष्णु के अवतार माने जाते हैं. धार्मिक ग्रंथों में उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है. क्योंकि वो 16 उत्तम गुणों से युक्त थे. उन्होंने #राजपाट छोड़ 14 साल वनवास में बिताएं. लेकिन फिर भी एक श्रेष्ठ राजा कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने #सत्य #दया #करुणा सर्वहित सरस #धर्म #मर्यादा #वचनबद्धता #सहनशीलता #शांत #सरल #कर्तव्यनिष्ठ #गांभीर्य #विनयशीलता और #धैर्य की पराकाष्ठा जैसे गुणों के माध्यम पर चलते हुए राज किया.
ईश्वर होते हुए भी सर्व शक्तिमान होते हटे भी लंका युद्ध के लिए जाते जब समुद्र ने उन्हे रास्ता नहीं दिया तब भी 3 दिनों तक रामजी ने समुद्र से विनती की. चौथे दिन वे क्रोधित हुए. प्रभु इतने धैर्यवान, विनम्र और दूसरों का सम्मान करने वाले हैं.
भारतीय संस्कृति-सदाचार की जब भी बात होती है तो #राम का नाम लिया जाता है. बड़े-बुजुर्ग कहते दिख जाते हैं- बेटा हो तो राम जैसा, राजा हो तो राम जैसा, चरित्र हो तो राम जैसा.
यह सब श्रीराम के उन 16 गुणों की वजह से है, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया.
प्रभु राम ने कभी अपने शत्रुओं पर भी क्रोध नहीं किया...
उन्होंने किसी #व्यक्ति या #समूह या #धर्म विशेष के लिए अवतार नहीं लिया था बल्कि मानव मात्र की भलाई के लिए मानवीय रूप में इस धरा पर अवतरित हुए थे.
#मानव अस्तित्व की कठिनाइयों तथा कष्टों का उन्होंने स्वयं वरण किया ताकि #सामाजिक विशेषकर #नैतिक मूल्यों का #संरक्षण किया जा सके तथा #दुष्टों को दंड दिया जा सके.
मनुष्य के जीवन में आने वाले सभी संबंधों को पूर्ण तथा उत्तम रूप से निभाने की शिक्षा देने वाले प्रभु श्री रामचन्द्रजी, रीति, नीति, प्रीति तथा भीति से युक्त रामजी ने नियम, त्याग का एक आदर्श स्थापित किया.
पर आज उन्हीं प्रभु का नाम लेकर हिंसा हो रही है. घृणा फैलाई जा रही.
इंसान को इंसान का दुश्मन बनाया जा रहा. छल कपट, झूठ, फरेब का व्यभिचार किया जा रहा..
जो #सीता_मईया रामजी के जीवन का आधार हैं, उनके अस्तित्व को भी दरकिनार कर दिया गया है..
राम में ,र' का अर्थ तत् यानी #परमात्मा और 'म' का अर्थ त्वम् यानी #जीवात्मा है.
यानी हर जीवात्मा में परमात्मा है .
लेकिन हमने अपनी मूर्खता और ज्ञान के अभाव में, प्रभु राम के सद्गुणों की गति बिगाड़ दी है.
अनुचित बहुत कहेउं अग्याता
छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता..
प्रभु क्षमा करना हमें 🙏
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