Ruby Arun

Thursday 18 November 2021

#VirDas की कविता और ढोंगी राष्ट्रवादियों का पाखंड

 जो भी #हिंदुस्तानी #देश के #लोकतंत्र और #संविधान का सम्मान

करता है, वो यकीनन देश के वर्तमान माहौल से बेहद आहत है.

और वो मानता है की देश फिलहाल वैचारिक तौर पर दो हिस्सों में 

पूरी तरह बंट चुका है.

#VirDas की कविता में दिए गए संदर्भ उसी परिपेक्ष्य में हैं.

जिससे 🍊🍊🍊🍊 का कथित #राष्ट्रवाद चोटिल हुआ है.

और वे बजबजा रहे है .क्योंकि ये पाखंडी लोग हैं.

इनकी मानसिकता दोगली है. खैर --

ये है ⏬ #वीरदास की वॉशिंगटन डीसी के जॉन एफ़ कैनेडी सेंटर

में पढ़ी वो कविता, जिस पर 🍊🍊 ने बखेड़ा किया हुआ है 👇



*** दो भारत से आता हूँ' (I Come Form Two India's)***


मैं एक उस भारत से आता हूँ, जहाँ बच्चे एक दूसरे का हाथ भी मास्क पहन कर पकड़ते हैं, लेकिन नेता बिना मास्क एक-दूसरे को गले लगाते हैं.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ एक्यूआई 9000 है लेकिन हम फ़िर भी अपनी छतों पर लेटकर रात में तारे देखते हैं.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ हम दिन में औरतों की पूजा करते हैं और रात में उनका गैंगरेप हो जाता है.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ हम ट्विटर पर बॉलीवुड को लेकर बँट जाते हैं, लेकिन थियेटर के अंधेरों में बॉलीवुड के कारण एक होते हैं.


मैं एक ऐसे भारत से आता हूँ, जहाँ पत्रकारिता ख़त्म हो चुकी है, मर्द पत्रकार एक दूसरे की वाहवाही कर रहे हैं


और महिला पत्रकार सड़कों पर लैपटॉप लिए बैठी हैं, सच्चाई बता रही हैं.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ हमारी हँसी की खिलखिलाहट हमारे घर की दीवारों के बाहर तक आप सुन सकते हैं


और मैं उस भारत से भी आता हूँ, जहाँ कॉमेडी क्लब की दीवारें तोड़ दी जाती हैं, जब उसके अंदर से हंसी की आवाज़ आती है.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ बड़ी आबादी 30 साल से कम उम्र की है लेकिन हम 75 साल के नेताओं के 150 साल पुराने आइडिया सुनना बंद नहीं करते.


मैं ऐसे भारत से आता हूँ, जहाँ हमें पीएम से जुड़ी हर सूचना दी जाती है लेकिन हमें पीएमकेयर्स की कोई सूचना नहीं मिलती.


मैं ऐसे भारत से आता हूँ, जहाँ औरतें साड़ी और स्नीकर पहनती हैं और इसके बाद भी उन्हें एक बुज़ुर्ग से सलाह लेनी पड़ती है, जिसने जीवन भर साड़ी नहीं पहनी.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ हम शाकाहारी होने में गर्व महसूस करते हैं लेकिन उन्हीं किसानों को कुचल देते हैं, जो ये सब्ज़ियां उगाते हैं.


मैं उस भारत से आता हूँ, जहाँ सैनिकों को हम पूरा समर्थन देते हैं तब तक, जब तक उनकी पेंशन पर बात ना की जाए.


मैं उस भारत से आता हूँ, जो चुप नहीं बैठेगा


मैं उस भारत से आता हूँ, जो बोलेगा भी नहीं


मैं उस भारत से आता हूँ जो मुझे हमारी बुराइयों पर बात करने के लिए कोसेगा


मैं उस भारत से आता हूँ, जो लोग अपनी कमियों पर खुल कर बात करते हैं


मैं उस भारत से आता हूँ, जो ये देखेगा और कहेगा 'ये कॉमेडी नहीं है.. जोक कहाँ है?' और मैं उस भारत से भी आता हूँ,


जो ये देखेगा और जानेगा कि ये जोक ही है. बस मज़ाकिया नहीं है.

No comments:

Post a Comment