Ruby Arun

Sunday 12 September 2021

फिरोज गांधी - एक स्वतंत्रता सेनानी और लोकतंत्र के योद्धा

 आज फिरोज गांधी की जन्म जयंती है.

फिरोज गांधी का नाम आज की राजनीति में अनपढ़ जाहिल
गवार और मूर्ख लोग सिर्फ विवादों में घसीटते हैं ..
जबकि सच्चाई यह है फिरोज गांधी की भूमिका देश के
स्वतंत्रता संग्राम में बहुत खास रही है...
इतनी महत्वपूर्ण कि, एक बार महात्मा गांधी ने कहा था की,
अगर मेरे पास फ़िरोज़ जैसे सात लड़के हो जायें तो
मैं सात दिनों में भारत को स्वराज दिला सकता हूँ."...
आप इतिहास पढ़ेंगे तो जानेंगे की देश की आजादी के लिए फ़िरोज़
गाँधी दो बार जेल गए. आजादी के बाद भी उन्होंने अपने ससुर
और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का सहारा
नहीं लिया. खुद से चुनाव लडा, सांसद बने और कांग्रेस के नेता
होने के बावजूद फिरोज, संसद में कई मसलों पर किसी भी और
नेता यहां तक कि लोहिया जी से भी ज्यादा ,अपने ससुर और
प्रधानमंत्री नेहरू के खिलाफ मुखर रहे.
देश के लोकतंत्र में उनका सबसे बड़ा योगदान ये है रहा की
उन्होंने अपने बहस मुसाहिबों से संसदीय बहस के स्तर को बहुत
ऊँचा किया
तत्कालीन मूंदड़ा कांड पर फिरोज गांधी ने अपने ही ससुर की सरकार पर इतना ज़बरदस्त हमला बोला कि नेहरू जी के बहुत करीबी रहे तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा....
महज रिश्ते नातों के आधार पर फिरोज ताकतवर नहीं थे.
उनका अपना एक सशक्त स्वतंत्र व्यक्तित्व था. जिस पर ना ही
नेहरू जी का वश था ना ही उनकी पत्नी इंदिरा गांधी का.
आप सोच कर देखिए जरा की दुनिया के लोकतंत्र में ऐसा कौन सा
व्यक्ति होगा जो खुद एक सांसद हो, जिसके ससुर देश के प्रधानमंत्री
हों, जिसकी पत्नी भी देश की प्रधानमत्री बनीं और उसका बेटा भी प्रधानमंत्री बना....
देश की स्वतंत्रता और मजबूत लोकतंत्र के लिए जिसका इतना बड़ा
योगदान रहा हो, उसके प्रति आभारी रहने की बजाय हम गंदी ,नकारा
और घटिया सियासत की वजह से उसे गालियां देते हैं.
हम जमशेद टाटा, जहांगीर रतन टाटा, गोदरेज, नेविल वाडिया ,
साइरस मिस्त्री, कोवास्जी इत्यादि, स्वतंत्राता संग्राम सेनानियों में दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, मैडम भिकाजी कामा,
नारी कोंट्रेक्टर, पाली उमरीगर, फारूख इंजीनियर, रुसी मोदी,
विजय मर्चेंट इत्यादि की सराहना करते नहीं थकते.
पर इसी पारसी समुदाय के फिरोज को लानतें भेजते है..

कृतघ्न हैं हम और लोकतंत्र के ऐसे सिपाहियों की अवमानना की
ही सजा भुगत रहा है देश.

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