Ruby Arun

Wednesday 6 May 2020

स्व. राजीव गांधी द्वारा, देश क दिया गया नवोदय विद्यालयों का वरदान

बेहद ज़रूरी पोस्ट
राजीव गांधी द्वारा स्थापित नवोदय विद्यालय से पढ़े
10 लाख से ज्यादा  छात्रों में से दो के मन की बात....

Madhulika Chaudhary : यह पोस्ट नहीं है, मेरी ज़िद है अपनी बात कहने की. एक सीमा के बाद ख़ामोशी तकलीफदेह हो जाती है. इस पोस्ट का राजनीति से कोई मतलब नही है फिर भी शुभचिंतक चाहें तो स्क्रीनशॉट लेकर रख लें. जिनको कार्यवाही कराने की इच्छा हो वे पार्टी के पैड पर एप्लिकेशन लिख लें. आठ बीघे खेत अपनी कमाई से खरीदा है जो जीने के लिए काफी है, बहुत ज्यादा की मुझको जरूरत भी नही है.

मेरे पापा घनघोर नास्तिक व्यक्ति थे.जगन्नाथपुरी जाकर जो व्यक्ति मन्दिर के अन्दर न जाए.इस हद तक नास्तिक. लेकिन वे हमेशा कहते थे कि नवोदय के गेट पर आकर मैं हमेशा सिर झुकाता हूँ जैसे कोई मन्दिर के दरवाज़े पर झुकाता है,यह वह जगह है जिसने मेरे चार बच्चों की सात सात साल परवरिश की है. कुल अट्ठाईस साल. एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार के चार बच्चों को पढ़ाने और अच्छी परवरिश देने का मतलब पापा समझते थे.

पापा के बाद अगर मेरे जीवन मे किसी का स्थान है तो वे राजीव जी हैं. राजीव सिर्फ राहुल और प्रियंका के ही पिता नही हैं, वे हम जैसे भी तमाम बच्चों के पिता ही हैं. नवोदय में तमाम ऐसे भी बच्चे थे जिनके घर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नही था. इंटर के बाद ऐसे कई बच्चों को ग्रेजुएशन मैंने अपनी तनख्वाह से कराया है. पता है क्यों? क्योंकि हम इसे नवोदय परिवार कहते हैं और इस रिश्ते से वे बच्चे मेरे घर के बच्चे हैं वैसे ही जैसे मेरा भाई है.

किसी भी व्यक्ति को मृत्योपरान्त अपशब्द कहना ही नीचता है… फिर भी मेरी इच्छा है कि आप कई और साल सत्ता पर काबिज़ रहें क्योंकि हम यानि यहाँ की जनता इसी काबिल है और जो जिस काबिल होता है उसे वैसा ही नेतृत्व मिलता है.

ख़बरदार अगर इस पोस्ट पर किसी ने ज्ञान बघारने की कोशिश की तो बिना किसी प्रतिउत्तर के आप सीधे बाहर होंगे. ज्यादा खुजली हो तो कार्यवाही करा लीजिएगा पर बहस के इरादे से मत आइएगा. इस बार इतना धैर्य है ही नहीं मुझमें. एक सीमा के बाद नीचता असहनीय हो जाती है. आप वह लकीर पार कर आए हैं. आपने सिर्फ राजीव जी को अपशब्द नहीं कहा बल्कि तमाम ग्रामीण बच्चे जिन्होंने उनकी बदौलत एक अच्छी जीवनशैली का सपना देखा और वह पूरा भी हुआ, उनके सपनों को तामीर करने वाले देवदूत को अपशब्द कहा है.

यकीन करने को जी तो नहीं होता कि ईश्वर कहीं है पर अगर राजीव जी जैसे फ़रिश्ते होते हैं तो ईश्वर से यक़ीन हटाना इतना आसान भी नही है..अगर सचमुच ईश्वर कहीं हैं तो आपकी दुर्दशा मैं अपने इसी जीवन मे देखना चाहूँगी कि जिससे ईश्वर में मेरी आस्था बनी रहे. मेरे लिए जीवन मे राजीव जी का स्थान मेरे पिता के बराबर ही है और इस बात का राजनीति से कोई सम्बन्ध नही है.

Markandey : राजीव गांधी की उम्र 47 साल थी जब उनकी हत्या हुई और वे मात्र 40 साल के थे जब प्रधानमंत्री बने… हम सब नवोदयन्स राजीव गांधी के ऋणी है… मैं खुद कम से कम 1000 ऐसे लोगो को जानता हूँ जिनके जीवन जिनकी केरियर में नवोदय का बहोत बड़ा योगदान है… अगर नवोदय विद्यालय न होती तो आज वे वो ओहदा, वो रुतबा, वो सफलता हांसिल ही न कर पाते जहां वे आज है… मैं भी उनमे से एक हूं..

आज अगर हम उन्हें याद न रखें तो सही नही है… 1984 में वे PM बने और 1985 में उन्होंने इस देश के गरीब देहात के प्रतिभाशाली बच्चों को एक उच्च कोटि की शिक्षा मिल सके इस इरादे से नवोदय विद्यालय की नींव रखी…. जरा गौर कीजिएगा की कितनी बेहतरीन व्यवस्था की थी उनहोने…

-एक जिले में से 6th std से 80 बच्चों को प्रवेश परीक्षा से चयनित किया जाएगा…

-उन 80 में से 16 (20%) शहरी विस्तार से होंगे बाकी 64 ग्रामीण इलाको से ऐसा इसलिए कि अगर ऐसा न होता तो ग्रामीण इलाकों से कम ही लोग Qualify कर पाते

-इन चयनित बच्चों को राजीव गांधी जिस दून स्कूल में पढ़े थे ऐसी बोर्डिंग स्कूल में निशुल्क पढ़ाया जाएगा…

-निशुल्क मने ये मान लो सरकार उनको अगले 6 साल के लिए गॉद लेगी, भोजन, पढ़ाई, रहना, कपड़ा सब फ्री…

-यहां तक कि टूथ ब्रश, साबुन, हेर आयल, घर से आने जाने का टिकट सब कुछ फ्री… मानो वे सरकार के बेटे बेटिया है

-पढ़ाई, खेल कूद, विज्ञान, कला संस्कृति आदि सब की ट्रेनिंग दी जाती है…

-9th Std में Migration होता है जिसके तहत 15 बच्चों को उस राज्य से बाहर किसी और स्कूल में Migrate किया जाता है, ताकि बच्चे एक दूसरे के राज्य रहन सहन को जाने देश मे एकता बढ़े…

-जाति, धर्म, पैसा रसूख के आधार पे कोई भेदभाव नही किया जाता था, सब को एक नजर से देख जाता था…

-आज देश में 550 से ज्यादा ऐसी स्कूल है, सारी की सारी लगभग एक जैसी ही…

-अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग इससे पास आउट है…

-इस वर्ष ही करीब 400 से ऊपर नवोदयँ IIT के लिए Qualify हुए हैं

-नवोदय योजना की सफलता का आकलन आप ऐसे भी लगा सकते है कि मोदीजी ने 4 साल में कोई 55 नई नवोदयँ सेंक्शन की है (उनका भी धन्यवाद)

मुद्दे की बात ये है कि इतना सारा देने के बाद भी हमने कभी राजीव गांधी या सोनिया-राहुल के मुंह से उसकी क्रेडिट लेते न देखा न सुना…. वो पैसे जनता के थे और हम जनता से चयनित होकर आए थे, हमे वो हक से दिया हक समज के दिया… कभी हम को किसी उपकार की भावना से नही जताया गया… मुफ्त का खाया या मुफ्त की पढ़ाई की ऐसा किसी ने नही कहा…

जब उनकी हत्या हुई तब हम नवोदय में ही पढ़ रहे थे, मुझे याद भी नही कि मैं कोई ज्यादा दुखी भी हुआ होगा… क्योंकि हमें वो हक इतनी सहजता से दिया गया था हमे उसका कोई महत्व तक पता नही था… आज पीछे मुड़कर देखते है और आज के हालात में सरकार 1000 रुपये का एक गेस बर्नर भी दे देती है तो कितना चिल्लाती है. ये देखकर अहसास होता है कि हमे कितना दिया गया और कभी जताया तक नहीं गया…. एक अच्छा विचार, एक Innocent Politician ने कैसे लागू किया ये नवोदय विद्यालय एक श्रेष्ठ उदाहरण है इस बात का…

मधुलिका और मार्कण्डेय की एफबी वॉल से

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