कोई समझाए उन्हें ....प्यार की क़ीमत क्या है ......
क्या है ...जज्बे की चुभन ..उसकी अज़ीयत क्या है .............
चंद रिश्तों से ही महफूज़ है यादों का नगर .........
वरना हम खाक के पुतलों की ...हक़ीक़त क्या है ........
आरज़ू दिल में उमड़ती है ....बिखर जाती है ...............
या इलाही .........ये बता ....तेरी मशियत क्या है ...........
क्या है ...जज्बे की चुभन ..उसकी अज़ीयत क्या है .............
चंद रिश्तों से ही महफूज़ है यादों का नगर .........
वरना हम खाक के पुतलों की ...हक़ीक़त क्या है ........
आरज़ू दिल में उमड़ती है ....बिखर जाती है ...............
या इलाही .........ये बता ....तेरी मशियत क्या है ...........
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