क्या नीतीश खतरे में है? |
[मुज़फ्फरपुर से जदयू सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद भी नीतीश के ख़िला़फ भरे बैठे हैं. नीतीश कुमार ने उनके कहने के बावज़ूद उनके एक भी आदमी को विधानसभा के उपचुनाव में टिकट नहीं दिया. यहां तक कि उनके बेटे का भी पत्ता काट दिया. अलबत्ता राजद से कांग्रेस में और फिर जदयू में शामिल हुए दलित नेता रमई राम को बोचहा और रमई राम के करीबी रामसूरत राम को औराई से टिकट दे दिया. इससे नाराज़ जयनारायण निषाद अब हर जगह ढिंढोरा पीटते चल रहे हैं कि नीतीश अपने सांसदों के साथ दोयम दर्ज़े का बर्ताव करते हैं.]

हालात इस क़दर बिगड़ चुके हैं कि सांसदों का एक बड़ा धड़ा पार्टी तोड़ने तक पर आमादा है. बैठकों का दौर जारी है. विक्षुब्ध सांसदों को एकजुट कर जदयू छोड़ किसी और पार्टी में शामिल होने की मंत्रणा की जा रही है. सबसे सशक्त विकल्प है—कांग्रेस पार्टी. इसके पीछे सोच यह है कि नीतीश कुमार को तो सबक सिखाया ही जा सके, साथ ही केंद्र में मंत्री बनने की कुछ बुज़ुर्ग नेताओं की चिर इच्छा भी पूरी हो सके. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार को पार्टी के सांसदों के इस खेल का नहीं पता.
नीतीश हालात को बदलने की कोशिश में भी हैं. उन्हें लंबे अरसे से इस बात का इल्म है कि प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह की कार्यप्रणाली से न स़िर्फबिहार जदयू के नेता बल्कि सरकार में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी ख़फा हैं. ललन सिंह को हटाने की मांग भी व़क्त-व़क्त पर उठी, पर नीतीश ने इस मांग पर कान देने की ज़हमत नहीं उठाई. आज जब उन्हें लग रहा है कि पार्टी टूट जाएगी, तब वे इस ओर ग़ौर फरमा रहे हैं. इसीलिए अब बिहार में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी होने जा रहा है. यह बिहार विधानसभा के उपचुनाव के बाद होगा. पर अब बात इतने से नहीं संभलने वाली. नाराज़ सांसदों ने जद यू का बंटाधार करने का मन बना लिया है.
बिहार में जद यू के 20 सांसद हैं. नीतीश का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ पकड़ने के लिए बाग़ी सांसदों की संख्या 12 होनी चाहिए. चौथी दुनिया को मिले सबूत इस ख़बर को पुख़्ता करते हैं कि बाग़ी सांसदों की संख्या 12 से ज़्यादा है. ये वे सांसद हैं जिनकी मुराद नीतीश ने पूरी नहीं की. ये सांसद चाहते थे कि बिहार विधानसभा उपचुनाव में नीतीश उनके भाई और बेटों को उन विधानसभा क्षेत्रों से टिकट दें जिन्हें छोड़ कर वे सांसद बने हैं. हालांकि, नीतीश ने उनकी एक न सुनी और सांसदों ने ठान लिया कि नीतीश कुमार को सबक सिखाना है.

बहरहाल, पूर्णमासी राम नीतीश की बातों से इतना ताव खा गए कि उन्होंने नीतीश के ख़िला़फ खुली बग़ावत कर दी . पूर्णमासी राम ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से अपने बेटे विजय राम के लिए बेतिया से टिकट मांगा. नीतीश को कमज़ोर करने का मौक़ा लालू कैसे गंवाते. उन्होंने विजय राम को बेतिया से राजद उम्मीदवार बना दिया.
मुज़फ्फरपुर से जद यू सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद भी नीतीश के ख़िला़फ भरे बैठे हैं. नीतीश कुमार ने उनके कहने के बावज़ूद उनके एक भी आदमी को विधानसभा के उपचुनाव में टिकट नहीं दिया. यहां तक कि उनके बेटे का भी पत्ता काट दिया. अलबत्ता राजद से कांग्रेस में और फिर जदयू में शामिल हुए दलित नेता रमई राम को बोचहा और रमई राम के करीबी रामसूरत राम को औराई से टिकट दे दिया. इससे नाराज़ जयनारायण निषाद अब हर जगह ढिंढोरा पीटते चल रहे हैं कि नीतीश अपने सांसदों के साथ दोयम दर्ज़े का बर्ताव करते हैं. सांसद, नीतीश के ग़ुलाम नहीं हैं कि जो नीतीश की मर्ज़ी हो उसके सामने अपना सर झुका दें. मुज़फ्फरपुर उनका क्षेत्र था फिर भी नीतीश कुमार ने एक बार भी उनसे राय नहीं ली. अब वे दोनों ही जगहों से जदयू के उम्मीदवार को हरवाने का काम करेंगे.

खगड़िया से जदयू सांसद दिनेशचंद्र यादव का भी सपना था कि उनकी पत्नी जदयू के टिकट पर विधायक बनतीं. वह अपनी पत्नी के लिए अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र बख्तियारपुर से टिकट चाहते थे. नीतीश ने उनकी इस इच्छा पर पानी फेर दिया. अब दिनेशचंद्र यादव भी दूसरे बाग़ियों की तरह यही राग आलाप रहे हैं कि वह जदयू के उम्मीदवार को किसी भी हाल में जीतने नहीं देंगे. दिनेशचंद्र यादव, जदयू प्रत्याशी के विरोध में प्रचार भी कर रहे हैं. नीतीश कुमार को इस बात की पूरी ख़बर है पर वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें पता है कि अगर इस व़क्त उन्होंने कोई कार्रवाई की तो पार्टी पूरी तरह बिखर जाएगी.
जहानाबाद के जदयू सांसद जगदीश शर्मा की पत्नी घोषी से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. जगदीश शर्मा ने भी चाहा था कि नीतीश उनकी पत्नी को जद यू से उम्मीदवार बनाएं. पर ऐसा हुआ नहीं. अब जगदीश शर्मा न केवल बग़ावती मिजाज़ में हैं बल्कि नीतीश कुमार के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना भी कर रहे हैं. आसार इस बात के हैं कि जगदीश शर्मा की पत्नी चुनाव जीत सकती हैं. क्योंकि घोषी विधानसभा क्षेत्र जगदीश शर्मा का बेहद पुराना कर्मक्षेत्र है और वहां उनका बड़ा ही प्रभाव है.

झंझारपुर से जद यू सांसद मंगनीलाल मंडल की अलग कहानी है. मंगनीलाल मंडल के साथ सगे संबंधियों को टिकट नहीं देने का कोई मसला नहीं है. पर फिर भी वे नीतीश कुमार को खुलेआम अपशब्दों से नवाज़ते रहते हैं. अपने घर में लगे दरबार में अपने समर्थकों के सामने वे नीतीश के ख़िला़फ विष वमन कर बड़े ही ख़ुश होते हैं. राजद और कांग्रेस के नेता उनके दरबार में इसलिए हाज़िरी लगाते हैं ताकि उन्हें नीतीश की बखिया उधेड़ने का मौक़ा मिल सके.
मंगनीलाल मंडल को नीतीश के ख़िला़फ ख़ूब भड़काया जा सके. जदयू टूट कर बिखर जाए और विरोधियों का सपना साकार हो जाए. मंगनीलाल मंडल इसलिए नाराज़ हैं कि उनके संसदीय क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी उनकी बातों पर कान नहीं देते. वे अपने मतदाताओं के किसी काम की पैरवी अगर ज़िले के एसपी—डीएसपी या डीएम—बीडीओ से करते हैं तो कोई उनकी नहीं सुनता. मंगनीलाल ने इस सिलसिले में कई बार नीतीश कुमार से बात भी की पर नीतीश हमेशा मुस्कुरा कर बात टाल जाते हैं. अब मंगनीलाल मंडल जैसे शख्स के लिए इतनी वज़ह का़फी है नीतीश के लिए विष वमन करने की.वैसे मंगनीलाल मंडल की गाली देने की आदत पुरानी रही है. वे जिसके साथ रहते है उसका हित कभी सोचते ही नहीं. उसी पर वार करना अपनी शान समझते हैं. उनका यही सच जान कर फिलहाल नीतीश ने भी चुप लगा रखी है.
उधर, लालू प्रसाद यादव के पुराने साथी और पाटलिपुत्र से जदयू सांसद रंजन यादव के तेवर भी नीतीश कुमार के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. पिछले दिनों कई मसलों पर रंजन यादव की नीतीश कुमार से तनातनी हो चुकी है. लालू प्रसाद यादव के साथ होते हुए शिक्षा मंत्री के तौर पर रंजन यादव की जो धमक हुआ करती थी,उससे सभी वाक़ि़फ हैं. रंजन चाहते हैं कि उनका वही जलवा नीतीश राज में भी बरकरार रहे. सूबे में, सरकार में उनकी धमक क़ायम रहे. राजकाज के मसलों पर नीतीश…..
पूरी ख़बर के लिए पढ़िए चौथी दुनिया…..
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