Ruby Arun

Monday, 30 April 2012

वस्ल की तमन्ना क्यूँ हो.

रूह से रूह बात करती है.....
फिर भला ....वस्ल की तमन्ना क्यूँ हो.....
जब ...ख्यालों में जी लेते हैं ...बेशक ...
तो....तेरे ना मिलने का शिकवा क्यूँ हो.....
हर इक...गोशे में जब तू है मौजूद ....
तो तेरे ना होने का गिला क्यूँ हो......*..*)).

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