#IndigoAirlines के मौजूदा भीषण परिचालन संकट पर हवाई यात्रियों की घोर पीड़ादायक–यातनादायक परेशानी पर कंपनी के मुख्य प्रमोटर और Group Managing Director राहुल भाटिया ने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है और ना ही कोई व्यक्तिगत माफी
मांगी है.जबकि यह उनका नैतिक, सामाजिक और व्यावसायिक दायित्व बनता है. रोज हजारों हजार हवाई यात्रियों की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी का मालिक इतना असंवेदनशीलता,अति लापरवाह,गैर जिम्मेदार और गैर पेशेवराना कैसे हो सकता है.
जबकि इनकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि बेहद खराब हुई है. भारत की हवाई सेवा पर भरोसा खत्म हुआ है.
हालांकि इंडिगो के CEO Pieter Elbers ने खेद जताया है, माफी मांगी है. पर यह जिम्मेदारी #RahulBhatia की ज्यादा बनती है.
जैसे किसी एक व्यक्ति के पास सारे अधिकार आ जाते हैं तो वो तानाशाह हो जाता है और जनता बेबस लाचार हो जाती है.
वैसे ही जब किसी एक कंपनी की #Monopoly किसी भी क्षेत्र में हो जाती है तो #Indigo के मौजूदा हालत सी ही विपदा आती है.
सन 2014 के पहले देश में कई घरेलू विमानन कंपनियां थीं. सबके पास अपनी अपनी हिस्सेदारी थी.
लेकिन आज सिर्फ दो विमानन कंपनीज हैं जो पूरे देश में उड़ानें संचालित कर रही हैं.
#इंडिगो और #AirIndia_Group
#AkasaAirlines और #SpiceJet भी हैं पर इनका दायरा बहुत ही छोटा है.
अकेली इंडिगो एयरलाइंस के ही पास 60 से 65 फीसदी की हिस्सेदारी है.
एयर इंडिया समूह यानी Air India, Vistara, Air India Express ke paas लगभग 25% से 27%,
आकासा एयर के पास लगभग 5% से 6% और स्पाइसजेट के पास लगभग 2% से 3% हैं.
2014 के पहले ये हिस्सेदारियां विभिन्न विमानन कंपनियों के पास थीं.
इंडिगो 31.8%
जेट एयरवेज और जेटलाइट 21.7%
एयर इंडिया 18.4%
स्पाइसजेट 17.4%
गोएयर 9.2%
एयर कोस्टा 0.9%
एयरएशिया इंडिया 0.5%
तो जब घरेलू उड़ानों में ज्यादा विमानन कंपनियों की सहभागिता थी तब यात्रियों के पास विकल्प ज्यादा था. सहूलियतें भी थीं. ना तो घंटों घंटों एयरपोर्ट पर बंधक बने रहने की स्थिति थी और ना ही मेहनत के पैसे डूब जाने या टिकट की बेतहाशा रकम के जरिए लूटे जाने की ही गुंजाइश थी.

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