Ruby Arun

Tuesday, 27 November 2012

जज़्ब ए ग़म रुख़ पे अयाँ है भी ...नहीं भी

गर प्यार न हो तो... ये जहाँ है भी नहीं भी .... होंगे न मकीं गर.. तो मकाँ है भी नहीं भी....... जब तुम ही नहीं हो तो ज़माने से मुझे क्या ........... ठहरे हुए जज़्बात में जाँ है भी..... नहीं भी ........ दुनिया की नज़र में तो हँसी लब पे है उस के....... और जज़्ब ए ग़म रुख़ पे अयाँ है भी ...नहीं भी .....

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