मेरे हमनवा .........
हमारे दरमियाँ ....ऐसा कोई रिश्ता ना था ......
तेरे शानो पर कोई छत नहीं थी ....मेरे जिम्मे कोई आँगन नहीं था .........
कोई वादा तेरी जंजीरें पा नहीं बनने पाया ......
किसी इकरार ने मेरी कलाई को ...नहीं थामा...................
हवा ऐ दश्त की मानिंद तू आज़ाद था ................
रास्ते तेरी मर्जी के ताबे थे ........मुझे भी अपनी तन्हाई पे पूरा तसर्रूफ था .......
मगर आज ...जब तुने रास्ता बदला ........
तो जाने मुझे ऐसा क्यूँ लगा कि .................
तुने मुझसे बेवफाई की हो ........
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