एक चाँद तनहा खड़ा रहा ....मेरे आस्मां से .... ज़रा परे..... मेरे साथ साथ सफ़र मे था ....पर ..मेरी मंजिलों से ज़रा परे..... तेरी जुस्तजू के हिसआर से ....तेरे खवाब.... तेरे ख्याल से..... मैं वो शख्स थी .... जो खड़ी रही ....तेरी चाहतों से ज़रा परे..... कभी दिल की बात ....कही न थी ...जो कही तो ... वो भी दबी दबी .... मेरे लफ्ज़ पूरे तो थे मगर ....तेरी समा'अतों से.... ज़रा परे .... तू चला गया मेरे हमसफ़र ....ज़रा देख मुड के तो ....इक नज़र.... मेरी कश्तियाँ हैं जली हुयी ......तेरे साहिलों से ....ज़रा परे.... एक चाँद तनहा खड़ा रहा ....मेरे आस्मां से .... ज़रा परे..... मेरे साथ साथ सफ़र मे था ....पर ..मेरी मंजिलों से ज़रा परे..
Behad khubsurat...
ReplyDeleteAnita Maurya Jee ...behad shukriya aapka ....))
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