कोई चेहरा नज़र नहीं आता.....रोशनी भी अब नहीं आती कोई.....
लफ़्ज़ हैं कि जिन्हें....दिल से जुबा के फ़ासले ...तवील लगते हैं...
सुनाई दे भी कोई दस्तक.....तो क्या खो लूँ...
कुछ भी तो दिखाई नहीं देता...ख़याल भी मेरे कई बार.....
गुमराह हो के लौटे हैं.....
बड़ी गहरी है धुंध.....तेरी यादों की.........*..*))...
लफ़्ज़ हैं कि जिन्हें....दिल से जुबा के फ़ासले ...तवील लगते हैं...
सुनाई दे भी कोई दस्तक.....तो क्या खो लूँ...
कुछ भी तो दिखाई नहीं देता...ख़याल भी मेरे कई बार.....
गुमराह हो के लौटे हैं.....
बड़ी गहरी है धुंध.....तेरी यादों की.........*..*))...
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