रवायती उसूल... वस्ल के मुझे मंज़ूर नहीं.....और ही मायने हैं ....चाहत के मेरी नज़रों में......रूह से ताल्लुक हैं.... राहत के मेरी नज़रों में....तेरी हस्ती से है निस्बत....वो किसी शै से नहीं.....तेरे नाम में है जो सुकूं....वो किसी 'मै' में नहीं......!!
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