Ruby Arun

Monday, 29 August 2011

अधूरे ख़्वाब में अब.....सीख लिया है....
तन्हा ही मैंने....करवट बदलना....
पशोपेश में हूँ कि....क्या माजरा है ..?
ये छलना -बदलना....आंसू निगलना.....
मगर सिलसिला तो.....फिर भी वही है...
तुमसे निकलना......तुममें ही ढलना.......♥

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