Ruby Arun

Tuesday, 20 December 2022

#अटल_बिहारी_वाजपई की रणनीतिक भूल का दुष्परिणाम है #चीन का #एलएसी पर दुस्साहस

 #India #China #LAC विवाद को लेकर

🍊 🍊 दिन रात नेहरू को कोसते रहने

का #प्रोपगंडा चलाते हैं. जबकि सच्चाई ये है

#Nehru ने 1962 में ही #चीन की दगाबाजी

से तंग आकर उसके साथ किया गया

#शांति_समझौता भंग कर दिया था.

ये तो #बीजेपी के नेता और तत्कालीन

#PM श्री अटल बिहारी वाजपेई थे, जिन्होंने

1996 और फिर 2003 में तिब्बत को #चीन

का आधिकारिक हिस्सा मान लिया था और

#दस्तावेज भी बनावा दिए थे.


2017 में #लोकसभा में स्वर्गीय #मुलायम_सिंह_यादव ने #भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था की, 

चीन का भारत में अतिक्रमण #वाजपेई

सरकार की भूल की वजह से ही संभव हुआ.


चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति जियांग जेमिन

जब 1996 में भारत दौरे पर आए थे, तब

चीन के साथ #NDA सरकार की बड़ी

सहमति बनी थी और तत्कालीन #PM

#अटल_बिहारी_वाजपेयी 

ने #तिब्बत को 

#चीन का हिस्सा मान लिया था.

सिक्किम के रास्ते भारत-चीन के बीच

व्यापार की हामी भी भर दी गई. 

फिर 2003 में #वाजपेयी_सरकार में ही इसे आधिकारिक स्वरूप भी दे दिया गया...

तिब्बत पर भारत की नीति में बदलाव को

#वैश्विक_परिदृश्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी की भारी भूल के तौर

पर देखा जाता है.


तब #RSS की पत्रिका #Oraganiser

के पूर्व संपादक #शेषाद्री_चारी ने भी

मुलायम सिंह की बातों से सहमती जताई

थी कि #AtaJee ने तिब्बत को चीन का

हिस्सा मानकर बड़ी भूल की थी. 

उन्होंने कहा था कि पहली बार 2003 में #अटलबिहारीवाजपेयी की सरकार ने

तिब्बत को चीन का हिस्सा माना और चीन 

ने #सिक्किम को भारत का हिस्सा माना.

यह अटल जी का अदूरदर्शी कदम था.

#BBC हिंदी की वेबसाइट से बात करते हुए

#Shesadri_Chari ने कहा था की

वाजपेयी जब #पीएम नहीं थे,तब वो तिब्बत

को स्वतंत्र देश कहा करते थे..

जब वे प्रधानमंत्री बने तो उन्हें रणनीतिक तौर पर इसे टालना चाहिए था. उस वक्त

उन्होंने तिब्बत के बदले सिक्किम को सेट किया था.चीन ने सिक्किम को मान्यता नहीं

दी थी लेकिन जब #Vajpai सरकार ने

तिब्बत को उसका हिस्सा माना तो उसने भी

सिक्किम को भारत का हिस्सा मान लिया..

अटल जी ने ऐसा बहुत जल्दीबाजी में किया. अटल जी को एक स्टैंड पर कायम रहना चाहिए था और चीन के सुधारवादी राष्ट्रपति

#जियांग_जेमीन से बिल्कुल साफ कहना

चाहिए था कि चीन ने तिब्बत पर अवैध

कब्जा कर रखा है और यह स्वीकार नहीं है..


#BJP नीत #एनडीए सरकार के उस एक

गलत फैसले ने ही चीन का दुस्साहस इतना बड़ा दिया की आज चीन ने भारत की सीमा 

में घुस कर गांव के गांव बसा लिए हैं.


हालांकि ये बात सच है की देश के प्रथम

प्रधानमंत्री #जवाहर_लाल_नेहरू के

शासनकाल में 1954 में चीन और भारत के

बीच #शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व के लिए पांच

सिद्धांतों पर सहमति बनी थी. 

और तब #हिंदी_चीनी_भाई_भाई के नारे

लगे थे. 

पर नेहरू को चीन पर कभी भरोसा नहीं था.

यही वजह है की जब चीन ने अपने नक्शे में

भारत के कई इलाकों को दिखाना शुरू

किया तो #NeharJee ने कड़ी आपत्ति

जताई थी और चीन से #शांति समझौता

तोड़ने की बात भी कह दी थी.

तब चीन ने माना था कि उसके नक्शे में गलतियां हुई हैं..

पर 1959 में जब #तिब्बत में विद्रोह शुरू

हुआ और #भारत ने #DalaiLama को

शरण देने की घोषणा की तो चीन ने अपना

असली रंग दिखाया..

19 अक्टूबर, 1962 की सुबह 4 बजे ही

चीन ने #लद्दाख में और #मैकमोहन_रेखा

के पार एक साथ हमले शुरू कर दिए.. 

चीनी सैनिकों ने अचानक गोलियों की

बौछार कर दी. पांच घंटों तक ऐसा ही चलता रहा.

चीन द्वारा किए गए इस विश्वासघात के बाद

#पंडित_नेहरू ने 1962 में चीनी हमले के साथ ही 8 साल बाद ही #पांच_सिद्धांतों पर

बना #शांतिपूर्ण_सह_अस्तित्‍व समझौता खत्म कर दिया था.


ये सभी तथ्य #सरकारी_फाइल्स में दर्ज हैं.

पर कहते हैं ना की अपना #दाग छुपाना हो

तो दूसरों पर #कीचड़ उछाल दो...


अब #कमल तो खिलता ही है #कीचड़ में.

सो उछाल रहे हैं 🍊🍊🍊....

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