#Congress के शासनकाल में #नेहरूजी
की #स्मृति धूमिल पड़ने लगी थी.
#कांग्रेसी उन्हें बस #बाल_दिवस पर ही याद करते थे.
पर #ThankYou #ModiJi की आपने #चाचा_नेहरू का #स्मरण हर बात पर किया..
और #देश की नई पीढ़ी को यह जानने पर
विवश किया की वास्तव में
#पंडित_जवाहरलाल_नेहरू कौन थे...
जिन्होंने #विश्व को #पंचशील का सिद्धांत दिया.
ताकि उस पर अमल करके #भारत की
#संप्रभुता और #क्षेत्रीय_अखंडता के लिए अन्य देशों और राज्यों का आपसी #सम्मान, आपसी
#गैर_आक्रामकता, एक-दूसरे के #आंतरिक मामलों
में गैर #हस्तक्षेप, #समानता, #पारस्परिक_लाभ
और #शांतिपूर्ण सह #अस्तित्व कायम रह
सके और हमारा देश विश्व भर के लिए #शांति_दूत
का कार्य कर सके..
वैसे आप जानतेवतो होंगे ही मोदी जी की,
#Panchsheel_Agreement #चीन और
भारत के #तिब्बत क्षेत्र के बीच "व्यापार और
समागम पर समझौते” पर आधारित था.
29 अप्रैल, 1954 को बीजिंग में चीन के
उप विदेश मंत्री चांग हान-फू और भारतीय
राजदूत एन. राघवन ने आपसी सहमति से
इस पर हस्ताक्षर किए थे..
पंचशील समझौते ने नए स्वतंत्र देशों की आवाज
को मजबूत किया था.
ये पांच सिद्धांत #विकासशील देशों के हितों और
इच्छा का प्रतिनिधित्व करते थे.
इन सिद्धांतों ने सार्वभौमिक #शांति और #विकास के
लिए समर्पित एक वैकल्पिक #विश्वदृष्टि भी प्रदान की थी.
जिसने #अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव की नींव के रूप में कार्य किया था. चाहे द्विपक्षीय हो या बहुपक्षीय..
जिसकी वजह से तुरंत स्वतंत्र हुए #अग्रेजों द्वारा लूटे
हुए भारत के संबंध विश्व के अमेरिका जैसे विकसित
देशों से भी मजबूत बनाए थे...
#NeharuJi की दूरदृष्टि के कायल दुनिया भर के
देश हो चुके थे..
अप्रैल 1955 में घोषित 29 एफ्रो-एशियाई देशों की बांडुंग घोषणा में निहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग के दस सिद्धांतों में से एक पंचशील था...
पंचशील की अंतरराष्ट्रीय उपयोगिता की महत्ता को भारत, यूगोस्लाविया और स्वीडन द्वारा प्रस्तुत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर एक प्रस्ताव में एकीकृत किया गया और 11 दिसंबर, 1957 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे भारी बहुमत से रूप से अपनाया गया था.
1961 में बेलग्रेड में गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों के सम्मेलन में
पंचशील को गुटनिरपेक्ष आंदोलन के दार्शनिक मूल
के रूप में भी अनुमोदित किया गया था...
पर #विडंबना देखिए की आज नेहरू के देश में ही उनके विचार अपमानित हो रहे हैं..
पंचशील के सिद्धांतों को उपेक्षित कर दिया गया है.
और यही वजह ही की #चीन हमारे देश की सीमा पर हमारी हजारों एकड़ जमीन पर कब्जा किए जा रहा है.
जबकि उसे नेहरू द्वारा किए गए समझौते के आधार पर रोका जा सकता है.
क्योंकि यह समझौता #जुमला नहीं है
बल्कि #दस्तावेजों में दर्ज है...
लेकिन आज नेहरू के पंचशील के सिद्धांतों को लोगों के दिमाग में गलत स्वरूप में बिठाया जा रहा है ..
पंचशील के सिद्धांतों की मूल अवधारणा के बिल्कुल उलट आम जनता के जेहन में व्हाट्सएप सोशल मीडिया और मुख्य मीडिया के भी जरिए यह दुष्प्रचार करने की कोशिश है नेहरू की ही वजह से ही चीन हमारे देश पर हावी हो रहा है....
हकीकत तो ये है की #चीन को #लाल_लाल आंखें दिखाए की भी जरूरत नहीं और ना 56" का सीना दिखाने की.
बस जरूरत है संयुक्त राष्ट्र संघ में आवाज उठाने की.
पर असल मुश्किल यही है.
चुनावी रैलियों में चीखने और मसखरी करने वाली आवाज, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर "क्रो सो फो सो " होने लगती है..
और पूछा जाने लगता है की क्या हमारी आवाज आ रही है ....😞
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