Ruby Arun

Saturday, 5 November 2022

भारतीय #रुपए का #digitalisation और भारतीय की #आर्थिक गुलामी

 आज के भौतिक युग में एक सामान्य व्यक्ति की स्वतंत्रता की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है जानते हैं ना आप !!

वह है आर्थिक स्वतंत्रता .
अपनी मेहनत की कमाई के पैसे का अपनी मनमर्जी के मुताबिक लेनदेन, जो आपको पारिवारिक सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाता है. लेकिन अब आप इस स्वतंत्रता को पूरी तरह से गंवाने के लिए तैयार हो जाइए. 
आम आदमी के व्यक्तिगत लेनदेन की जो ताकत है,वह अभी तक पूरी तरह से सरकारों के नियंत्रण में नहीं थी. और असल में आम आदमी की ताकत भी यही थी.
#Digitization के जरिए आम आदमी ऐसी शक्ति पर काबू पाया जाएगा. 
हमें नियंत्रित और बेबस किया जाएगा.
क्योंकि जिस कैशलेस सोसाइटी की बात की जा रही है और हमारे प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज होने के बाद से बेहद प्रमुखता से यह बात करते आ रहे हैं, बार-बार #New_India #न्यू_इंडिया का राग अलापते हैं .
इसलिए नहीं की जनता की भलाई का कोई मंसूबा है बल्कि देश की जनता पर हर तरफ से नियंत्रण करने की कोशिश है.
बिना हमें महसूस कराएं, हमें अपनी मुट्ठी में जकड़ लेने का षड्यंत्र है.
और न्यू इंडिया की सोच इनकी कोई अपनी मौलिक अवधारणा नहीं है यह तो बस एक छोटा सा हिस्सा है #The_New _World_Order का. जिसे अमीर देशों और विश्व के चुनिंदा अमीर #Conspiracy_Theory कहते हैं..
यानी की "नई विश्व व्यवस्था" एक ऐसी साजिश का सिद्धांत, जो बेहद गुप्त तरीके से उभरते हुए अधिनायकवाद विश्व सरकार की परिकल्पना को साकार करने की कोशिश कर रहा है.
और इसके शिकार हैं मुख्यत: विकासशील देश.
यह एक वैश्विक वादी एजेंडा है जो एक सत्तावादी और एक विश्व सरकार के माध्यम से पूरी दुनिया पर शासन करने का षड्यंत्र रच रहा है.
हमारे देश के रिजर्व बैंक ने भारतीय डिजिटल करेंसी रुपे को 1 नवंबर इंट्रोड्यूस कर दिया है और भारत सरकार की यह योजना फिलहाल एक महीने के पायलट प्रोजेक्ट पर है..
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद देशभर में इसे पूर्ण रुप से लागू कर दिया जाएगा.
फिर हमारी नकदी पूरी तरह से इनके हाथों में होगी. हमारे एक एक रुपए के लेन-देन का हिसाब इनके पास होगा. शादी विवाह मुंडन जनेव आदि के नेग चार में भी हमें नकदी इस्तेमाल करने की इजाजत शायद ना रहे .
गली मोहल्ले की छोटे दुकानदारों से खरीदारी करते वक्त भी हम कैशलेस रहें.
देश की 80 करोड़ जनता जो 5 किलो अनाज प्रति महीना पर जीवन यापन कर रही है, वह पूरी तरह से अपाहिज हो जाए.
क्योंकि उनका घर तो इन्हीं छोटे-मोटे लेनदेन से ही चलता है.
गरीब मजदूर आदि के पास पाई भी नही होगी. कस्बों, गली,मोहल्ले की दुकानों में नकदी नहीं होगी. मतलब की देश की बहुत बड़ी आबादी, आर्थिक गुलाम बन चुकी होगी.
हालांकि सरकार और सरकार की बेजा नीतियों के अंधे समर्थक आपको इसके कई नफा और फायदे भी समझाएंगे..
ठीक बात है कि वित्तीय लेनदेन में डिजिटल पेमेंट सिस्टम सबसे आसान और अच्छी बात है आपको क्या शुद्ध होने प्लास्टिक कार्ड बैंक के एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है खासकर जब आप सफर में हो तो आपके पास खर्च करने का यह सबसे सुरक्षित और आसान विकल्प होगा.
लेकिन कम आमदनी वाले लोगों के लिए यह बहुत बड़ी मुसीबत का सबब होगा.
लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन में जो सबसे बड़ा जोखिम होगा वह आईडेंटिटी थेफ्ट का होगा. हमारे देश की के ज्यादातर लोग इस मामले में सुशिक्षित नहीं है. स्थिति यह है कि बहुत पढ़े-लिखे स्मार्ट समझदार लोग भी फिशिंग ट्रैप में आ जाते हैं. ऐसे में ऑनलाइन फ्रॉड का खतरा सबसे बड़ा है .ऐसी स्थिति में जब सभी लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म पर होंगे तो हैकिंग के खतरे बेशुमार होंगे. इसके अलावा एक और बड़ा जोखिम है की ऐसी शिकायतों पर सुनवाई का विकल्प नहीं होना. देश में शिकायत पर सुनवाई की दशा वैसे ही बहुत खराब है .
मान लीजिए किसी रिक्शावाले का टेंपो चालक का टैक्सी चलाने वाले का मजदूरी करने वाले का छोटे दुकानदारों का आईडी गुम हो जाता है या चोरी हो जाता है तो फिर वह क्या करेगा?
 क्योंकि इससे निपटने के लिए हमारे देश में कोई कड़ा कानून भी नहीं है आपको पता होगा कि अक्टूबर में इंडियन बैंकिंग सिस्टम को डेटा शिकार होना पड़ा था.
इसके अलावा अगर आप सफर में है और किसी छोटे गांव या शहर में है यहां पर बैंकिंग की सुविधा नहीं है फिर आप क्या करेंगे?
 देश में वैसे ही बिजली का संकट है और आपका फोन बंद हो जाता है आप उसे चार्ज नहीं कर पाते ,आपका कोई ट्रांजैक्शन बीच में ही डिस्चार्ज हो जाता है या किसी इमरजेंसी में आपका फोन स्विच ऑफ हो जाए तो फिर आप क्या करेंगे ?
वैसे भी हमारे देश के सभी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते. खासकर मध्यम और निम्न वर्ग के बुजुर्ग ऐप डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं और उनके पास नकदी नहीं है. वे किसी परेशानी में है तो फिर उनके पास क्या विकल्प होगा ?
वैसे लोग जिन्हें इस तकनीक की समझ नहीं है वो इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
व्यवहारिकता के तौर पर यह बात साबित हो चुकी है कि क्रेडिट कार्ड या डिजिटल पेमेंट लोगों में अधिक खर्चे की लत लगा देता है. बिहेवियरल फाइनेंस थ्योरी कहती है की लोग कैश खर्च करने में हिचकते हैं जबकि वही रकम या उससे ज्यादा की भी रकम कार्ड से खर्च करने पर उन्हें मानसिक दबाव नहीं होता.
 तो यह उन लोगों की भी मुसीबत बढ़ाएगा जिन्हें फिजूलखर्ची की लत लग जाती है.
 उनके महीने का बजट बेकार हो जाएगा. खासकर मध्यम वर्ग के लोग जिन्हें जिंदगी में सभी सहूलियत चाहिए पर उतनी उनकी आमदनी नहीं होती तो वह क्रेडिट कार्ड का सहारा लेते हैं . और वे बजट से ज्यादा खर्च कर कर्जदार हो जाते हैं. 
और हां, ई रूपया पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलेगा. रिजर्व बैंक ने इसकी वजह बताई है. बैंक ने कहा है कि अगर डिजिटल रुपया पर ब्याज दिया गया तो यह करेंसी मार्केट में अस्थिरता पैदा कर सकता है. लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकाल कर उसे डिजिटल करेंसी में बदलने लगेंगे.
मतलब आपको हासिल कुछ नहीं होना है.
आपका पैसा जितना था बस उतना ही रह जाएगा. पैसों में बढ़ोतरी की जिस उम्मीद से आप बैंक में पैसा जमा करेंगे वह लाभ आपको नहीं मिलेगा.

कुल 9 बैंकों को इसके लिए चुना गया है .
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्र ने तो #E_Rupee के खाते खोलने भी शुरू कर दिए हैं.

पर छोड़िए हमें क्या
आप तो राम राम जपिए
और उनको प्राय माल अपना करने दीजिए

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