Ruby Arun

Sunday, 12 March 2023

मजाक चल रहा #देश की #सुरक्षा के साथ..

 मजाक चल रहा #देश की #सुरक्षा के साथ..


ठेके पर भर्ती किए गए पूर्व #अग्निवीर

अब #BSF में भर्ती किए जाएंगे.

यही नहीं अग्निवीरो को ऊपरी आयु-सीमा मानदंडों में भी छूट देने का फैसला किया है.

#मोदी सरकार ने उनके लिए #बीएसएफ में 10 फीसदी #आरक्षण की घोषणा की है.

सोचिए की जो BSF देश की सरहदों पर #China #Pakistan और #Bangladesh के घुसपठियों से लड़ती है. गहन और कड़े प्रशिक्षण के बाद देश की रक्षा में तैनात होती है, #Anti_Naxal_Operation करती है,उनके बीच ये अग्नीवीर कौन सा जौहर दिखाएंगे?

विडंबना ये है की जिन जवानों के पराक्रम के गीत गा गा, उनकी दुहाई दे दे कर सरकार जनता से वोट मांगती है.

उन्ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों  BSF, CRPF, ITBP, CISF और SSB के करीब 13000 वरिष्ठ अधिकारियों को न तो वरिय रैंको पर नियुक्ति दे रही है और न प्रमोशन के वित्तीय लाभ.

जबकि हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और खुद भारत सरकार की कैबिनेट केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को  2006 से NFFU और NFSG देने को कह चुकी है लेकिन उसके बावजूद पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडर इसके लाभ से वंचित है

जबकि 31 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई को ये फैसला सुनाया कि दो महीने के भीतर यानि 30 सितंबर तक 

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को केंद्र  ऑर्गनाइज्ड ग्रुप 'ए' सर्विसेज मानकर एनएफएफयू, यानी कि Non-Functional Financial अपग्रेडेशन का लाभ  दिया जाए. 

लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ये समय सीमा बीतने के बावजूद अभी तक सरकार  हरकत में नहीं आई है. जबकि इसके लिए पिछले लगभग सात सालों से पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं.

इन जवानों के परिजन अपने हक के लिए #जंतर_मंतर पर महीनों से धरना दे रहे हैं.

पर मोदी सरकार की दलील ये है की सरकार के पास पैसे नहीं हैं.

हमारे देश का #Border_Security_Force दुनिया का सबसे बड़ा #सीमा_सुरक्षा_बल है.

जो शांति के समय देश की सीमाओं की रक्षा करता है और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकता है.

लेकिन सरकार की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैए की वजह से फोर्स में खलबली मची हुई है.2016 से 2020 के बीच, यानी 4 साल में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, यानी BSF के 20,249 जवानों ने वॉलेंटरी रिटायरमेंट ले लिया है और 1708 ने तो रिजाइन ही कर दिया है.

कल रात भी #BSF के एक जवान ने इंदौर में आत्महत्या कर ली है.

बिल्कुल यही स्थिति #CRPF की भी है.

सालों के इंतज़ार और दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में केस जीतने के बाद भी जवानों को अपने अधिकार नहीं मिल रहे.

Tuesday, 20 December 2022

#अटल_बिहारी_वाजपई की रणनीतिक भूल का दुष्परिणाम है #चीन का #एलएसी पर दुस्साहस

 #India #China #LAC विवाद को लेकर

🍊 🍊 दिन रात नेहरू को कोसते रहने

का #प्रोपगंडा चलाते हैं. जबकि सच्चाई ये है

#Nehru ने 1962 में ही #चीन की दगाबाजी

से तंग आकर उसके साथ किया गया

#शांति_समझौता भंग कर दिया था.

ये तो #बीजेपी के नेता और तत्कालीन

#PM श्री अटल बिहारी वाजपेई थे, जिन्होंने

1996 और फिर 2003 में तिब्बत को #चीन

का आधिकारिक हिस्सा मान लिया था और

#दस्तावेज भी बनावा दिए थे.


2017 में #लोकसभा में स्वर्गीय #मुलायम_सिंह_यादव ने #भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था की, 

चीन का भारत में अतिक्रमण #वाजपेई

सरकार की भूल की वजह से ही संभव हुआ.


चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति जियांग जेमिन

जब 1996 में भारत दौरे पर आए थे, तब

चीन के साथ #NDA सरकार की बड़ी

सहमति बनी थी और तत्कालीन #PM

#अटल_बिहारी_वाजपेयी 

ने #तिब्बत को 

#चीन का हिस्सा मान लिया था.

सिक्किम के रास्ते भारत-चीन के बीच

व्यापार की हामी भी भर दी गई. 

फिर 2003 में #वाजपेयी_सरकार में ही इसे आधिकारिक स्वरूप भी दे दिया गया...

तिब्बत पर भारत की नीति में बदलाव को

#वैश्विक_परिदृश्य में तत्कालीन प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी की भारी भूल के तौर

पर देखा जाता है.


तब #RSS की पत्रिका #Oraganiser

के पूर्व संपादक #शेषाद्री_चारी ने भी

मुलायम सिंह की बातों से सहमती जताई

थी कि #AtaJee ने तिब्बत को चीन का

हिस्सा मानकर बड़ी भूल की थी. 

उन्होंने कहा था कि पहली बार 2003 में #अटलबिहारीवाजपेयी की सरकार ने

तिब्बत को चीन का हिस्सा माना और चीन 

ने #सिक्किम को भारत का हिस्सा माना.

यह अटल जी का अदूरदर्शी कदम था.

#BBC हिंदी की वेबसाइट से बात करते हुए

#Shesadri_Chari ने कहा था की

वाजपेयी जब #पीएम नहीं थे,तब वो तिब्बत

को स्वतंत्र देश कहा करते थे..

जब वे प्रधानमंत्री बने तो उन्हें रणनीतिक तौर पर इसे टालना चाहिए था. उस वक्त

उन्होंने तिब्बत के बदले सिक्किम को सेट किया था.चीन ने सिक्किम को मान्यता नहीं

दी थी लेकिन जब #Vajpai सरकार ने

तिब्बत को उसका हिस्सा माना तो उसने भी

सिक्किम को भारत का हिस्सा मान लिया..

अटल जी ने ऐसा बहुत जल्दीबाजी में किया. अटल जी को एक स्टैंड पर कायम रहना चाहिए था और चीन के सुधारवादी राष्ट्रपति

#जियांग_जेमीन से बिल्कुल साफ कहना

चाहिए था कि चीन ने तिब्बत पर अवैध

कब्जा कर रखा है और यह स्वीकार नहीं है..


#BJP नीत #एनडीए सरकार के उस एक

गलत फैसले ने ही चीन का दुस्साहस इतना बड़ा दिया की आज चीन ने भारत की सीमा 

में घुस कर गांव के गांव बसा लिए हैं.


हालांकि ये बात सच है की देश के प्रथम

प्रधानमंत्री #जवाहर_लाल_नेहरू के

शासनकाल में 1954 में चीन और भारत के

बीच #शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व के लिए पांच

सिद्धांतों पर सहमति बनी थी. 

और तब #हिंदी_चीनी_भाई_भाई के नारे

लगे थे. 

पर नेहरू को चीन पर कभी भरोसा नहीं था.

यही वजह है की जब चीन ने अपने नक्शे में

भारत के कई इलाकों को दिखाना शुरू

किया तो #NeharJee ने कड़ी आपत्ति

जताई थी और चीन से #शांति समझौता

तोड़ने की बात भी कह दी थी.

तब चीन ने माना था कि उसके नक्शे में गलतियां हुई हैं..

पर 1959 में जब #तिब्बत में विद्रोह शुरू

हुआ और #भारत ने #DalaiLama को

शरण देने की घोषणा की तो चीन ने अपना

असली रंग दिखाया..

19 अक्टूबर, 1962 की सुबह 4 बजे ही

चीन ने #लद्दाख में और #मैकमोहन_रेखा

के पार एक साथ हमले शुरू कर दिए.. 

चीनी सैनिकों ने अचानक गोलियों की

बौछार कर दी. पांच घंटों तक ऐसा ही चलता रहा.

चीन द्वारा किए गए इस विश्वासघात के बाद

#पंडित_नेहरू ने 1962 में चीनी हमले के साथ ही 8 साल बाद ही #पांच_सिद्धांतों पर

बना #शांतिपूर्ण_सह_अस्तित्‍व समझौता खत्म कर दिया था.


ये सभी तथ्य #सरकारी_फाइल्स में दर्ज हैं.

पर कहते हैं ना की अपना #दाग छुपाना हो

तो दूसरों पर #कीचड़ उछाल दो...


अब #कमल तो खिलता ही है #कीचड़ में.

सो उछाल रहे हैं 🍊🍊🍊....

Monday, 14 November 2022

#बाल_दिवस #जवाहरलाल_नेहरू और वैश्विक परिदृश्य में #पंचशील सिद्धांत की महत्ता

 #Congress के शासनकाल में #नेहरूजी 

की #स्मृति धूमिल पड़ने लगी थी. 

#कांग्रेसी उन्हें बस #बाल_दिवस पर ही याद करते थे.


पर #ThankYou #ModiJi की आपने #चाचा_नेहरू का #स्मरण हर बात पर किया..

और #देश की नई पीढ़ी को यह जानने पर

विवश किया की वास्तव में

#पंडित_जवाहरलाल_नेहरू कौन थे...

जिन्होंने #विश्व को #पंचशील का सिद्धांत दिया.

ताकि उस पर अमल करके #भारत की

#संप्रभुता और #क्षेत्रीय_अखंडता के लिए अन्य देशों और राज्यों का आपसी #सम्मान, आपसी

#गैर_आक्रामकता, एक-दूसरे के #आंतरिक मामलों 

में गैर #हस्तक्षेप, #समानता, #पारस्परिक_लाभ 

और #शांतिपूर्ण सह #अस्तित्व कायम रह

सके और हमारा देश विश्व भर के लिए #शांति_दूत 

का कार्य कर सके..


वैसे आप जानतेवतो होंगे ही मोदी जी की,

#Panchsheel_Agreement #चीन और

भारत के #तिब्बत क्षेत्र के बीच "व्यापार और

समागम पर समझौते” पर आधारित था.

29 अप्रैल, 1954 को बीजिंग में चीन के 

उप विदेश मंत्री चांग हान-फू और भारतीय

राजदूत एन. राघवन ने आपसी सहमति से 

इस पर हस्ताक्षर किए थे..


पंचशील समझौते ने नए स्वतंत्र देशों की आवाज 

को मजबूत किया था.

ये पांच सिद्धांत #विकासशील देशों के हितों और 

इच्छा का प्रतिनिधित्व करते थे.

इन सिद्धांतों ने सार्वभौमिक #शांति और #विकास के 

लिए समर्पित एक वैकल्पिक #विश्वदृष्टि भी प्रदान की थी. 

जिसने #अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव की नींव के रूप में कार्य किया था. चाहे द्विपक्षीय हो या बहुपक्षीय..

जिसकी वजह से तुरंत स्वतंत्र हुए #अग्रेजों द्वारा लूटे 

हुए भारत के संबंध विश्व के अमेरिका जैसे विकसित 

देशों से भी मजबूत बनाए थे...


#NeharuJi की दूरदृष्टि के कायल दुनिया भर के 

देश हो चुके थे..


अप्रैल 1955 में घोषित 29 एफ्रो-एशियाई देशों की बांडुंग घोषणा में निहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग के दस सिद्धांतों में से एक पंचशील था...

पंचशील की अंतरराष्ट्रीय उपयोगिता की महत्ता को भारत, यूगोस्लाविया और स्वीडन द्वारा प्रस्तुत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर एक प्रस्ताव में एकीकृत किया गया और 11 दिसंबर, 1957 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे भारी बहुमत से रूप से अपनाया गया था.

1961 में बेलग्रेड में गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों के सम्मेलन में 

पंचशील को गुटनिरपेक्ष आंदोलन के दार्शनिक मूल 

के रूप में भी अनुमोदित किया गया था...


पर #विडंबना देखिए की आज नेहरू के देश में ही उनके विचार अपमानित हो रहे हैं..

पंचशील के सिद्धांतों को उपेक्षित कर दिया गया है.

और यही वजह ही की #चीन हमारे देश की सीमा पर हमारी हजारों एकड़ जमीन पर कब्जा किए जा रहा है.

जबकि उसे नेहरू द्वारा किए गए समझौते के आधार पर रोका जा सकता है.


क्योंकि यह समझौता #जुमला  नहीं है

बल्कि #दस्तावेजों में दर्ज है...


लेकिन आज नेहरू के पंचशील के सिद्धांतों को लोगों के दिमाग में गलत स्वरूप में बिठाया जा रहा है ..

पंचशील के सिद्धांतों की मूल अवधारणा के बिल्कुल उलट आम जनता के जेहन में व्हाट्सएप सोशल मीडिया और मुख्य मीडिया के भी जरिए यह दुष्प्रचार करने की कोशिश है नेहरू की ही वजह से ही चीन हमारे देश पर हावी हो रहा है....


हकीकत तो ये है की #चीन को #लाल_लाल आंखें दिखाए की भी जरूरत नहीं और ना 56" का सीना दिखाने की.


बस जरूरत है संयुक्त राष्ट्र संघ में आवाज उठाने की.

पर असल मुश्किल यही है.

चुनावी रैलियों में चीखने और मसखरी करने वाली आवाज, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर "क्रो सो फो सो " होने लगती है..

और पूछा जाने लगता है की क्या हमारी आवाज आ रही है ....😞

Saturday, 5 November 2022

भारतीय #रुपए का #digitalisation और भारतीय की #आर्थिक गुलामी

 आज के भौतिक युग में एक सामान्य व्यक्ति की स्वतंत्रता की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है जानते हैं ना आप !!

वह है आर्थिक स्वतंत्रता .
अपनी मेहनत की कमाई के पैसे का अपनी मनमर्जी के मुताबिक लेनदेन, जो आपको पारिवारिक सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाता है. लेकिन अब आप इस स्वतंत्रता को पूरी तरह से गंवाने के लिए तैयार हो जाइए. 
आम आदमी के व्यक्तिगत लेनदेन की जो ताकत है,वह अभी तक पूरी तरह से सरकारों के नियंत्रण में नहीं थी. और असल में आम आदमी की ताकत भी यही थी.
#Digitization के जरिए आम आदमी ऐसी शक्ति पर काबू पाया जाएगा. 
हमें नियंत्रित और बेबस किया जाएगा.
क्योंकि जिस कैशलेस सोसाइटी की बात की जा रही है और हमारे प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज होने के बाद से बेहद प्रमुखता से यह बात करते आ रहे हैं, बार-बार #New_India #न्यू_इंडिया का राग अलापते हैं .
इसलिए नहीं की जनता की भलाई का कोई मंसूबा है बल्कि देश की जनता पर हर तरफ से नियंत्रण करने की कोशिश है.
बिना हमें महसूस कराएं, हमें अपनी मुट्ठी में जकड़ लेने का षड्यंत्र है.
और न्यू इंडिया की सोच इनकी कोई अपनी मौलिक अवधारणा नहीं है यह तो बस एक छोटा सा हिस्सा है #The_New _World_Order का. जिसे अमीर देशों और विश्व के चुनिंदा अमीर #Conspiracy_Theory कहते हैं..
यानी की "नई विश्व व्यवस्था" एक ऐसी साजिश का सिद्धांत, जो बेहद गुप्त तरीके से उभरते हुए अधिनायकवाद विश्व सरकार की परिकल्पना को साकार करने की कोशिश कर रहा है.
और इसके शिकार हैं मुख्यत: विकासशील देश.
यह एक वैश्विक वादी एजेंडा है जो एक सत्तावादी और एक विश्व सरकार के माध्यम से पूरी दुनिया पर शासन करने का षड्यंत्र रच रहा है.
हमारे देश के रिजर्व बैंक ने भारतीय डिजिटल करेंसी रुपे को 1 नवंबर इंट्रोड्यूस कर दिया है और भारत सरकार की यह योजना फिलहाल एक महीने के पायलट प्रोजेक्ट पर है..
पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद देशभर में इसे पूर्ण रुप से लागू कर दिया जाएगा.
फिर हमारी नकदी पूरी तरह से इनके हाथों में होगी. हमारे एक एक रुपए के लेन-देन का हिसाब इनके पास होगा. शादी विवाह मुंडन जनेव आदि के नेग चार में भी हमें नकदी इस्तेमाल करने की इजाजत शायद ना रहे .
गली मोहल्ले की छोटे दुकानदारों से खरीदारी करते वक्त भी हम कैशलेस रहें.
देश की 80 करोड़ जनता जो 5 किलो अनाज प्रति महीना पर जीवन यापन कर रही है, वह पूरी तरह से अपाहिज हो जाए.
क्योंकि उनका घर तो इन्हीं छोटे-मोटे लेनदेन से ही चलता है.
गरीब मजदूर आदि के पास पाई भी नही होगी. कस्बों, गली,मोहल्ले की दुकानों में नकदी नहीं होगी. मतलब की देश की बहुत बड़ी आबादी, आर्थिक गुलाम बन चुकी होगी.
हालांकि सरकार और सरकार की बेजा नीतियों के अंधे समर्थक आपको इसके कई नफा और फायदे भी समझाएंगे..
ठीक बात है कि वित्तीय लेनदेन में डिजिटल पेमेंट सिस्टम सबसे आसान और अच्छी बात है आपको क्या शुद्ध होने प्लास्टिक कार्ड बैंक के एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है खासकर जब आप सफर में हो तो आपके पास खर्च करने का यह सबसे सुरक्षित और आसान विकल्प होगा.
लेकिन कम आमदनी वाले लोगों के लिए यह बहुत बड़ी मुसीबत का सबब होगा.
लेकिन डिजिटल ट्रांजैक्शन में जो सबसे बड़ा जोखिम होगा वह आईडेंटिटी थेफ्ट का होगा. हमारे देश की के ज्यादातर लोग इस मामले में सुशिक्षित नहीं है. स्थिति यह है कि बहुत पढ़े-लिखे स्मार्ट समझदार लोग भी फिशिंग ट्रैप में आ जाते हैं. ऐसे में ऑनलाइन फ्रॉड का खतरा सबसे बड़ा है .ऐसी स्थिति में जब सभी लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म पर होंगे तो हैकिंग के खतरे बेशुमार होंगे. इसके अलावा एक और बड़ा जोखिम है की ऐसी शिकायतों पर सुनवाई का विकल्प नहीं होना. देश में शिकायत पर सुनवाई की दशा वैसे ही बहुत खराब है .
मान लीजिए किसी रिक्शावाले का टेंपो चालक का टैक्सी चलाने वाले का मजदूरी करने वाले का छोटे दुकानदारों का आईडी गुम हो जाता है या चोरी हो जाता है तो फिर वह क्या करेगा?
 क्योंकि इससे निपटने के लिए हमारे देश में कोई कड़ा कानून भी नहीं है आपको पता होगा कि अक्टूबर में इंडियन बैंकिंग सिस्टम को डेटा शिकार होना पड़ा था.
इसके अलावा अगर आप सफर में है और किसी छोटे गांव या शहर में है यहां पर बैंकिंग की सुविधा नहीं है फिर आप क्या करेंगे?
 देश में वैसे ही बिजली का संकट है और आपका फोन बंद हो जाता है आप उसे चार्ज नहीं कर पाते ,आपका कोई ट्रांजैक्शन बीच में ही डिस्चार्ज हो जाता है या किसी इमरजेंसी में आपका फोन स्विच ऑफ हो जाए तो फिर आप क्या करेंगे ?
वैसे भी हमारे देश के सभी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते. खासकर मध्यम और निम्न वर्ग के बुजुर्ग ऐप डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं और उनके पास नकदी नहीं है. वे किसी परेशानी में है तो फिर उनके पास क्या विकल्प होगा ?
वैसे लोग जिन्हें इस तकनीक की समझ नहीं है वो इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
व्यवहारिकता के तौर पर यह बात साबित हो चुकी है कि क्रेडिट कार्ड या डिजिटल पेमेंट लोगों में अधिक खर्चे की लत लगा देता है. बिहेवियरल फाइनेंस थ्योरी कहती है की लोग कैश खर्च करने में हिचकते हैं जबकि वही रकम या उससे ज्यादा की भी रकम कार्ड से खर्च करने पर उन्हें मानसिक दबाव नहीं होता.
 तो यह उन लोगों की भी मुसीबत बढ़ाएगा जिन्हें फिजूलखर्ची की लत लग जाती है.
 उनके महीने का बजट बेकार हो जाएगा. खासकर मध्यम वर्ग के लोग जिन्हें जिंदगी में सभी सहूलियत चाहिए पर उतनी उनकी आमदनी नहीं होती तो वह क्रेडिट कार्ड का सहारा लेते हैं . और वे बजट से ज्यादा खर्च कर कर्जदार हो जाते हैं. 
और हां, ई रूपया पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलेगा. रिजर्व बैंक ने इसकी वजह बताई है. बैंक ने कहा है कि अगर डिजिटल रुपया पर ब्याज दिया गया तो यह करेंसी मार्केट में अस्थिरता पैदा कर सकता है. लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकाल कर उसे डिजिटल करेंसी में बदलने लगेंगे.
मतलब आपको हासिल कुछ नहीं होना है.
आपका पैसा जितना था बस उतना ही रह जाएगा. पैसों में बढ़ोतरी की जिस उम्मीद से आप बैंक में पैसा जमा करेंगे वह लाभ आपको नहीं मिलेगा.

कुल 9 बैंकों को इसके लिए चुना गया है .
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्र ने तो #E_Rupee के खाते खोलने भी शुरू कर दिए हैं.

पर छोड़िए हमें क्या
आप तो राम राम जपिए
और उनको प्राय माल अपना करने दीजिए

Saturday, 15 October 2022

#हरियाणा के #आदमपुर विधानसभा चुनाव में #BJP की बिसात

 #Gurmeet राम रहीम 40 दिन के लिए,

पैरोल पर बाहर है.क्योंकि #Hariyana 

के #आदमपुर सीट पर 3 नवंबर को उप चुनाव है.

18 जिलों में पंचायत के भी चुनाव हैं.

#कुलदीपबिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को

आदमपुर से #BJP ने उम्मीदवार बनाया हैं.

आदमपुर, राम रहीम के के सिरसा आश्रम 

के बगल का ही इलाका है.


हालांकि #KuldeepBishnoi ने अपने

बेटे के लिए #Hissar लोकसभा की सीट

मांगी थी. यह डील जुलाई महीने में राज्यसभा 

चुनाव के समय ही कर ली गई थी.


#bhoopendrasinghhudda को

राज्यसभा चुनाव का नेतृत्व हरियाणा में दे

देने की वजह से कुलदीप और कुमारी शैलजा

तिलमिलाए हुए थे. इन दोनों ने किरण चौधरी 

से मुलाकात की और फिर मनोहर खट्टर

से बात की. डील हुई, योजना बनी.

किरण चौधरी जो पहले भी 6 दफा राज्यसभा चुनावों में वोट डाल चुकी थीं,

उनका वोट अमान्य पाया गया और

#राज्यसभा चुनाव में #ajaymakan एक वोट

से हार गए .

बहरहाल, इस एवज में तीन चीज़ें होनी थीं.

कुलदीप के बेटे को हिसार से लोकसभा का

बीजेपी का टिकट, किरण चौधरी की बेटी

श्रुति चौधरी को भिवानी महेंद्रगढ़ से बीजेपी

का लोकसभा टिकट और कुलदीप बिश्नोई

को हरियाणा विधानसभा का स्पीकर बनाए जाना...


अभी तक कुलदीप स्पीकर तो बनाए नहीं गए.

बेटे को भी, पिता की खाली की गई सीट से

विधानसभा का उम्मीदवार बना दिया.

अब देखते हैं की किरण चौधरी के हाथ क्या आता है.

Sunday, 7 August 2022

#भारत का #राष्ट्रगान

 हमारे देश के #राष्ट्रगान #जन_गण_मन के रचयिता #RabindraNathTagore को उनकी पुण्यतिथि पर सदर प्रणाम.


पहली बार हमारा #National_Anthem 27 दिसंबर 1911 को #भारतीय_राष्ट्रीय_कांग्रेस के #कलकत्ता अधिवेशन के दूसरे दिन का काम शुरू होने से पहलेगाया गया था.

यह खबर तब प्रकाशित होने वाले अखबार#Bombay_Chronical #Bengoli और#अमृत_विचार_पत्रिका में प्रमुख तौर पर छापी गई थी.बाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशनों की शुरुआत 

इसी 'जन गण मन अधिनायक जय हे' को एक भजन के रूप में गाते हुए की जाती थी.

#रबीन्द्रनाथटैगोर को सबसे पहले #MahatmaGandhiji ने #गुरुदेव के नाम से पुकारा था. तब से यही नाम जनमानस की जुबान पर आ गया.

#टैगोर ने उस समय एक किताब लिखी#Nationalism .जिसमें उन्होंने अपने गीत'जन गण मन अधिनायक जय हे' की व्याख्या करते हुए समझाया था की सच्चा #राष्ट्रवादी वही हो सकता है जो दूसरों के प्रति #आक्रामक न हो.

#भारत_भाग्य_विधाता से उनका तात्पर्य था

— #देश_की_जनता और सर्वशक्तिमान ऊपर वाला 

– जिसे आप चाहे किसी नाम से पुकारें.

बहरहाल, 1917 में गुरुदेव ने इस गाने को एक धुन में बांधा. - 'जन गण मन' में पांच छंदहैं .इन छंदों में भारतीय संस्कृति, सभ्यता समेत स्वतंत्रता संग्राम का वर्णन किया गया है...

-राष्ट्रगान 'जन गण मन' के पहले छंद को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक रूप से 24 जनवरी, 1950 को मान्यता दी गई और इसे #राष्ट्र_गानके  रूप में अपनाया गया.

टैगोर साहब ने राष्ट्रगान को #bangla में लिखा था. बाद में #सुभाष_चंद्र_बोस के निवेदन पर #आबिद_अली #AbidAli साहब ने इसका हिंदी और उर्दू में रूपांतरण किया था. बाद में इसकी अंग्रेजी में भी रचना की गई तब यह हिंद सेना का नेशनल ऐंथम बना.

देश आजाद होने के बाद 14 अगस्त 1947 की रात पहली बार संविधान सभा का समापन इसी राष्ट्रगान के साथ किया गया. वहीं 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रगान के बारे में जब जानकारी मांगी गई तो महासभा को जन-गण-मन की रिकॉर्डिंग दी गई..

#भारत के राष्ट्रगान अलावा बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमान सोनार बंगला' भी गुरुदेव टैगोर की कविता से ही ली गई है.

'आमान सोनार बंगला' गीत उन्होंने 1905 में लिखा था जो आज #Bangladesh का राष्ट्रगान है. तीसरा देश श्रीलंका जिसके राष्ट्रगान में भी उनकी अमिट छाप दिखती है, क्योंकि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी उनकी कविता से प्रेरित है...

Monday, 2 May 2022

#PawanHans #पवन_हंस का सौदा, एक और घोटाला

 क्या आप सभी को ऐसा नहीं लगता कि देश की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी पवन हंस को सरकार द्वारा बेच दिया जाना एक बड़ा घोटाला भी हो सकता है ?


पवन हंस की एक ऐसी कंपनी रही है, जो अपने स्थापित होने के साल से ही मुनाफे कमाती रही है. लेकिन जैसे ही 2014 में बीजेपी की सरकार आई इस कंपनी को, घाटे वाली कंपनियों की सूची में दर्ज कर दिया गया. जबकि मोदी सरकार के 2014 -15 के कार्यकाल में भी इस कंपनी ने सरकार को अपने मुनाफे में से लगभग 224 करोड़ का लाभांश दिया था.

2016-17 में कंपनी का नेट प्रॉफिट लगभग 243 करोड़ था. लेकिन 2018-19 में सरकारी आंकड़े में पवनहंस को  Rs 63.67 crores के नुकसान और  2018-19  Rs 33.15 crores के नुकसान में दिखाया जाने लगा .

साजिशन इस कंपनी को धीरे धीरे कमजोर करके,इसे बेचने की भूमिका बनाई जाने लगी. 

और आखिर में 500 करोड़ से भी ज्यादा कीमत और 43 हेलीकॉप्टर के मालिक पवन हंस को 29 अक्टूबर 2021 यानी की महज 6 महीने पहले मुंबई में रजिस्टर्ड महज 3 हेलीकॉप्टर के मालिक, Star9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कौड़ियों के दाम सिर्फ 211 करोड़ में बेच दिया जाता है. 

 साल 2017 की बात है, जब भारतीय संसद की परिवहन,पर्यटन और संस्कृति क्षेत्र की स्थायी समिति ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य साफ साफ लिखा था कि समिति यह समझने में असफल है कि मुनाफा कमाने वाली कंपनी पवन हंस का रणनीतिक तौर पर विनिवेश क्यों किया जा रहा है ?

पर ये तो मोदी सरकार है जहां सब कुछ (नकारात्मक) मुमकिन है.....