Ruby Arun

Sunday 7 August 2022

#भारत का #राष्ट्रगान

 हमारे देश के #राष्ट्रगान #जन_गण_मन के रचयिता #RabindraNathTagore को उनकी पुण्यतिथि पर सदर प्रणाम.


पहली बार हमारा #National_Anthem 27 दिसंबर 1911 को #भारतीय_राष्ट्रीय_कांग्रेस के #कलकत्ता अधिवेशन के दूसरे दिन का काम शुरू होने से पहलेगाया गया था.

यह खबर तब प्रकाशित होने वाले अखबार#Bombay_Chronical #Bengoli और#अमृत_विचार_पत्रिका में प्रमुख तौर पर छापी गई थी.बाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशनों की शुरुआत 

इसी 'जन गण मन अधिनायक जय हे' को एक भजन के रूप में गाते हुए की जाती थी.

#रबीन्द्रनाथटैगोर को सबसे पहले #MahatmaGandhiji ने #गुरुदेव के नाम से पुकारा था. तब से यही नाम जनमानस की जुबान पर आ गया.

#टैगोर ने उस समय एक किताब लिखी#Nationalism .जिसमें उन्होंने अपने गीत'जन गण मन अधिनायक जय हे' की व्याख्या करते हुए समझाया था की सच्चा #राष्ट्रवादी वही हो सकता है जो दूसरों के प्रति #आक्रामक न हो.

#भारत_भाग्य_विधाता से उनका तात्पर्य था

— #देश_की_जनता और सर्वशक्तिमान ऊपर वाला 

– जिसे आप चाहे किसी नाम से पुकारें.

बहरहाल, 1917 में गुरुदेव ने इस गाने को एक धुन में बांधा. - 'जन गण मन' में पांच छंदहैं .इन छंदों में भारतीय संस्कृति, सभ्यता समेत स्वतंत्रता संग्राम का वर्णन किया गया है...

-राष्ट्रगान 'जन गण मन' के पहले छंद को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक रूप से 24 जनवरी, 1950 को मान्यता दी गई और इसे #राष्ट्र_गानके  रूप में अपनाया गया.

टैगोर साहब ने राष्ट्रगान को #bangla में लिखा था. बाद में #सुभाष_चंद्र_बोस के निवेदन पर #आबिद_अली #AbidAli साहब ने इसका हिंदी और उर्दू में रूपांतरण किया था. बाद में इसकी अंग्रेजी में भी रचना की गई तब यह हिंद सेना का नेशनल ऐंथम बना.

देश आजाद होने के बाद 14 अगस्त 1947 की रात पहली बार संविधान सभा का समापन इसी राष्ट्रगान के साथ किया गया. वहीं 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रगान के बारे में जब जानकारी मांगी गई तो महासभा को जन-गण-मन की रिकॉर्डिंग दी गई..

#भारत के राष्ट्रगान अलावा बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमान सोनार बंगला' भी गुरुदेव टैगोर की कविता से ही ली गई है.

'आमान सोनार बंगला' गीत उन्होंने 1905 में लिखा था जो आज #Bangladesh का राष्ट्रगान है. तीसरा देश श्रीलंका जिसके राष्ट्रगान में भी उनकी अमिट छाप दिखती है, क्योंकि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी उनकी कविता से प्रेरित है...

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