#कोयला संकट का बहाना कर कोयला क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले पर्यावरण और जंगल की रक्षा करने वाले कानूनों को कमजोर किया जा सकता है.
कोयला संकट उत्पादन में कमी की वजह से नहीं,बल्कि अन्य वजहों से आया है.केंद्र सरकार,खनन क्षेत्र को बढ़ावा देने में लगी है.इस संकट की आड़ में #केंद्र_सरकार
#पर्यावरण से खिलवाड़ करने की तैयारी में है.सरकार खनन क्षेत्र को बढ़ावा देने में लगी है.#बिजली की कमी का बहाने #खनन क्षेत्र को और अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा.
याद कीजिए पिछले साल भी अक्टूबर में कोयले की कमी का शोर मचा था. तब #केंद्र_सरकार ने बयान जारी कर कहा था कि देश में कोयले की कमी नहीं है.
अब दलील दी जा रही है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आयातित कोयले की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है. इसके साथ ही कुछ बिजली संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं,जिसके कारण देश में बिजली संकट बढ़ता जा रहा है.
#चीन दुनिया में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है और भारत दुनिया में दूसरे नंबर का कोयला आयातक देश.
देश में कोयले के उत्पादन के अतिरिक्त सालाना करीब 20 करोड़ टन कोयला इंडोनेशिया,चीन और ऑस्ट्रेलिया से आयात होता रहा है.
दो सालों पहले तक सब ठीक था. भारत करीब 200 गीगावॉट बिजली यानी करीब 70% बिजली का उत्पादन कोयले से चलने वाले प्लांट्स से करता है, लेकिन इस समय ज्यादातर प्लांट्स बढ़ती हुई बिजली की मांग और कोयले की कमी की वजह से कम बिजली सप्लाई कर पा रहे हैं.
पर यह कमी या संकट अचानक नहीं हुआ.
भारत सरकार ने पिछले 5 वर्षों से लगातार अपना आयात घटाने की कोशिश की. लेकिन इस दौरान घरेलू कोयला सप्लायर्स को उतनी ही तेजी से अपना उत्पादन बढ़ाने के सरकारी निर्देश नहीं दिए गए .
अक्टूबर 2021 के बाद इंडोनेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया देशों से सरकार ने कोयला आयात पूरी तरह घटाना शुरू कर दिया. नतीजतन देश की बिजली कंपनियां कोयले के लिए पूरी तरह कोल इंडिया पर ही निर्भर हो गईं.
इससे भयंकर सप्लाई गैप पैदा हुआ..
सरकार की इस चालाकी का नुकसान ये हुआ है की अब सरकार खुद ही इस खेल में फंस चुकी है. और अब इस गैप को सरकार चाहकर भी नहीं भर सकती क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में कोयले की कीमत 400 डॉलर यानी 30 हजार रुपए प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है..
हालांकि अब भी केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी आंकड़ों की जुबानी कह रहे हैं कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है,देश में कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है..
पर हकीकत में ऐसा है नहीं.
#RahulGandhi ने अपने ट्वीट में सरकार को पहले ही इस संकट के प्रति आगाह करते हुए लिखा था कि,
” 8 साल तक बड़ी-बड़ी बातें करने का नतीजा ये हुआ है कि देश में अब सिर्फ 8 दिन की जरूरत का कोयला बचा है. मोदी जी,स्टैफ्लेशन का खतरा मंडरा रहा है. बिजली कट गई तो छोटे उद्योग बर्बाद हो जाएंगे, जिससे और ज्यादा नौकरियां छिन जाएंगी. नफरत के बुलडोज़र के स्विच बंद कीजिए और पावर प्लांट्स के स्विच ऑन कीजिए...
तो अब ये डरावनी बातें सच होती दिखाई दे रही हैं.. #ElectricityBill के नाम पर आम आदमी और भी निचोड़ा जाने वाला है..
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