PM Cares फंड ना तो RTI के दायरे में आता है
और ना ही #CAG इसका ऑडिट कर सकता है
पर मरता हुई जनता को यह सवाल कर सकती है ना कि आखिर PM Cares फंड का हुआ क्या?
माना कि आप 🍊 🍊 सही
पर मर तो आपके सगे संबंधी भी रहे हैं
जो पैसे pm cares fund में जमा हुये, वो भी
आपकी हमारी मेहनत की कमाई के ही थे.
तो आप चुप क्यों हैं?पूछते क्यों नहीं सरकार से?
आपके खामोश रहने की वज़ह से आज हमारे
परिचित, रिश्तेदार, मित्रों वगैरह की जानें गई हैं.
अब भी चुप रहे तो हम आप ,हमारे बच्चे,
माता पिता यूँ ही गुजर जायेंगे...
और ये सत्ताधारी साज़िशें करते, झूठ बोलते
हमें एक दूसरे से लड़ाते, हमारी जिन्दगियां
लील लेंगे , पर इनके चेहरे पर शिकन
तक ना होगी .
हमारी चितायें जलती रहेंगी और ये उसी पर
अपने चुनावी पकवान बनाते और सत्ता की
मलाई चाटते रहेंगे.
19 मई 2020 को TOI की एक रिपोर्ट कमुताबिक PM cares फंड पहले तीन महीने
में कुल 10,600 करोड़ रुपए जमा हुये.
सरकार की ओर से कहा गया कि इसमें से
1000 करोड़- प्रवासी #मजदूरों पर खर्च होंगे
ताकि वो बिना किसी परेशानी अपने घर पहुंच जाएं.
100 करोड़ रूपये वैक्सीन बनाने में लगने थे.
मार्च 2020 में नोएडा की AGVA नाम की एक
कम्पनी को 10,000 वेंटिलेटर बनाने का ठेका
दिया गया.
जबकि इस कंपनी के पास इससे पहले
हाई-एंड वेंटिलेटर बनाने का कोई अनुभव नहीं था.
बिल्कुल उसी तरह जैसे कि अनिल अमानी की कंपनी को राहुल बनाने का अनुभव नहीं था.
बावजूद इसके AGVA को 166 करोड़ का
ठेका वेंटिलेटर बनाने के लिए दे दिया गया.
और 20 करोड़ रुपये एडवांस में दे दिये गये.
16 मई को पहले क्लिनिकल ट्रायल हुआ और
AGVA का बनाया वेंटिलेटर फेल हो गया.
1 जून 2020 को दूसरे क्लिनिकल ट्रायल हुआ.
नतीजा वही, फिर फेल.
AGVA के अलावा दो और कंपनियो को भी
वेंटिलेटर बनाने का ठेका दिया गया था.
आंध्र सरकार की कंपनी AMTZ को
तथा गुजरात की एक निजी कंपनी ज्योति CNC को.
दोनों ही कंपनियां हाई- एन्ड वेंटीलेटर बनाने का
कोई अनुभव नहीं रखती हैं.
ज्योति CNC को 5000 वेंटिलेटर बनाने का
ठेका 121 करोड़ में और AMTZ को 13,500
वेंटिलेटर का ठेका 500 करोड़ में दिया गया.
अगस्त 2020 में एक RTI के जवाब में हेल्थ
मिनिस्ट्री ने कहा कि इन दोनों कंपनी के वेंटिलेटर
क्लीनिकल ट्रायल में फेल हो चुके हैं.
इसके बाद इस सरकारी कम्पनी HLL की मार्फ़त
13,500 वेंटिलेटर के ठेके को घटाकर संख्या
10,000 कर दी गई.
नया ठेका मिला चेन्नई की कंपनी Trivitron को.
सरकार ने 3000 एडवांस और 7000 बेसिक
वेंटिलेटर के लिए Trivitron को 373 करोड़
रुपए देने का सौदा तय किया.
Trivitron ने वेंटिलेटर बनाए.
लेकिन AMTZ और HLL के बीच टेंडर वापस
लेने को लेकर विवाद बढ़ा और इस झगड़े में
Trivitron को डिस्पैच ऑर्डर ही नहीं मिला.
लिहाज़ा एक भी वेंटिलेटर सप्लाई नहीं हो सका.
PM Cares फंड की आड़ में सरकार का दूसरा
वादा था प्रवासी मजदूरों के श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन
का किराये के भुगतान का.
कहा गया कि PM cares fund से ही भरा जायेगा.
इन पैसों में से 1000 करोड़ रुपयों से
राज्य सरकारों को भी मदद की जानी थी
ताकि वो प्रवासी मजदूरों के लिए कॉरोना से
बचाव के बेहतर इंतज़ाम कर सकें.
इसके अलावा रेल मंत्रलाय ने भी प्रवासी मजदूरों
की यात्रा के नाम पर 151 करोड़ रुपए PM
cares fund में जमा करवाए.
भारत के चीफ लेबर कमिश्नर ने एक RTI के
जवाब में बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि
ऐसी कोई रकम प्रवासी मजदूरों की सहायता के
लिए जारी हुई है...
ज़बान खोलिये
सच बोलिये
सच बताने को मज़बूर किजिये
वरना सिसक सिसक कर,
तड़प तड़प कर मरना तो है ही...............
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