आपको एक मजेदार किस्सा सुनाती हूँ सियासत का
पिछले दिनों जब मध्य प्रदेश से कमलनाथ की सरकार चली गई,तो जाहिर है कांग्रेस बहुत आहत हुई.
तब कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मिलकर यह
योजना बनायी की मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार
गिराये जाने का बदला भारतीय जनता पार्टी से
हरियाणा में लिया जाए ...
क्योंकि एक तो हरियाणा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या अच्छी खासी है,दूसरे दुष्यंत चौटाला और
मनोहरलाल खट्टर के बीच में अक्सरहां होती खींचतान
में बहुत सारे काम रुके पड़े हैं .
कुछ आदतें मनोहरलाल खट्टर की भी खराब हैं
वे थोड़े सुस्त और लापरवाह हैं.
विधायकों की वाजिब बात भी ज्यादा सुनते ही नहीं. जिससे भारतीय जनता पार्टी के बहुतेरे विधायक
अंदर ही अंदर नाराज बैठे हैं .
खट्टर से भी ज्यादा नाराजगी भाजपा के विधायकों को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से है. दुष्यंत चौटाला के
पास कई महत्वपूर्ण विभाग हैं. पर उनकी मुश्किल
यह है कि, कोई भी फाइल दुष्यंत चौटाला के पास
अगर चली गई तो दुष्यंत चौटाला उस फाइल को
अपनी तिजोरी में बंद कर देते हैं .
मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहता है. जिससे प्रदेश की कई
महत्वपूर्ण योजनाएं रुकी पड़ी हैं.
तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सोचा कि
इस स्थिति का फायदा उठाया जाए और हरियाणा में
कांग्रेस की सरकार बनाने के जतन किए जाएं .
कांग्रेस के नेताओं ने यह जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
सौंपी. भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में सभी नेता सोनिया गांधीजी
के पास पहुंचे और उन्हें अपनी मंशा बताई.
बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे .
सोनिया गांधी और राहुल गांधी पहले तो
इस बात के लिए तैयार नहीं हुए,लेकिन जब पार्टी नेताओं
ने दबाव डाला तो सोनिया जी ने स्पष्ट कह दिया की
ठीक है अगर आप लोग यह सब कुछ करना ही चाहते हैं
तो अपनी जिम्मेदारी पर करें ,मुझसे किसी सहयोग की
उम्मीद ना करें .
नेताओं ने इस बात पर हामी भर दी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गोलबंदी शुरू कर दी. प्रदेश के 90 भाजपा विधायकों में से 40 विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया.
मजेदार बात यह रही कि दुष्यंत चौटाला भी आईने में उतर गए.
बस अब, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं की महत्वाकांक्षा परवान चढ़ने ही वाली थी,कि
इनकी योजनाओं की भनक एक निर्दलीय विधायक
चौधरी रणजीत सिंह, जो हरियाणा के ऊर्जा और जेल
मंत्री भी हैं,उन्हें लग गई .
रणजीत सिंह ने आनन-फानन में यह सूचना मनोहर लाल खट्टर तक पहुंचाई . मनोहर लाल खट्टर तुरंत ही सक्रिय हो गए और उन्होंने अपने सभी नाराज विधायकों को बुलाकर उन्हें भरपूर आश्वासन दिया ,
इसके साथ साथ, साम दाम दंड भेद का सहारा लेकर
खट्टर ने कांग्रेस के 5 विधायकों को भी अपने खेमे में
कर लिया.
उधर अजय चौटाला को जब दुष्यंत चौटाला की सोच
का पता चला तो उन्होंने दुष्यंत पर भी लगाम कस दी.
और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की योजना धरी की धरी रह गई.
सोनिया जी की झाड़ उन्हें अलग से सुननी पड़ गई.☺
पिछले दिनों जब मध्य प्रदेश से कमलनाथ की सरकार चली गई,तो जाहिर है कांग्रेस बहुत आहत हुई.
तब कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मिलकर यह
योजना बनायी की मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार
गिराये जाने का बदला भारतीय जनता पार्टी से
हरियाणा में लिया जाए ...
क्योंकि एक तो हरियाणा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या अच्छी खासी है,दूसरे दुष्यंत चौटाला और
मनोहरलाल खट्टर के बीच में अक्सरहां होती खींचतान
में बहुत सारे काम रुके पड़े हैं .
कुछ आदतें मनोहरलाल खट्टर की भी खराब हैं
वे थोड़े सुस्त और लापरवाह हैं.
विधायकों की वाजिब बात भी ज्यादा सुनते ही नहीं. जिससे भारतीय जनता पार्टी के बहुतेरे विधायक
अंदर ही अंदर नाराज बैठे हैं .
खट्टर से भी ज्यादा नाराजगी भाजपा के विधायकों को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से है. दुष्यंत चौटाला के
पास कई महत्वपूर्ण विभाग हैं. पर उनकी मुश्किल
यह है कि, कोई भी फाइल दुष्यंत चौटाला के पास
अगर चली गई तो दुष्यंत चौटाला उस फाइल को
अपनी तिजोरी में बंद कर देते हैं .
मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहता है. जिससे प्रदेश की कई
महत्वपूर्ण योजनाएं रुकी पड़ी हैं.
तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सोचा कि
इस स्थिति का फायदा उठाया जाए और हरियाणा में
कांग्रेस की सरकार बनाने के जतन किए जाएं .
कांग्रेस के नेताओं ने यह जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
सौंपी. भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में सभी नेता सोनिया गांधीजी
के पास पहुंचे और उन्हें अपनी मंशा बताई.
बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे .
सोनिया गांधी और राहुल गांधी पहले तो
इस बात के लिए तैयार नहीं हुए,लेकिन जब पार्टी नेताओं
ने दबाव डाला तो सोनिया जी ने स्पष्ट कह दिया की
ठीक है अगर आप लोग यह सब कुछ करना ही चाहते हैं
तो अपनी जिम्मेदारी पर करें ,मुझसे किसी सहयोग की
उम्मीद ना करें .
नेताओं ने इस बात पर हामी भर दी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गोलबंदी शुरू कर दी. प्रदेश के 90 भाजपा विधायकों में से 40 विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया.
मजेदार बात यह रही कि दुष्यंत चौटाला भी आईने में उतर गए.
बस अब, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं की महत्वाकांक्षा परवान चढ़ने ही वाली थी,कि
इनकी योजनाओं की भनक एक निर्दलीय विधायक
चौधरी रणजीत सिंह, जो हरियाणा के ऊर्जा और जेल
मंत्री भी हैं,उन्हें लग गई .
रणजीत सिंह ने आनन-फानन में यह सूचना मनोहर लाल खट्टर तक पहुंचाई . मनोहर लाल खट्टर तुरंत ही सक्रिय हो गए और उन्होंने अपने सभी नाराज विधायकों को बुलाकर उन्हें भरपूर आश्वासन दिया ,
इसके साथ साथ, साम दाम दंड भेद का सहारा लेकर
खट्टर ने कांग्रेस के 5 विधायकों को भी अपने खेमे में
कर लिया.
उधर अजय चौटाला को जब दुष्यंत चौटाला की सोच
का पता चला तो उन्होंने दुष्यंत पर भी लगाम कस दी.
और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की योजना धरी की धरी रह गई.
सोनिया जी की झाड़ उन्हें अलग से सुननी पड़ गई.☺
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