कई मित्र-शुभचिन्तक अक्सरहां मुझसे पूछते हैं
कि आप सच बोलने और करने की हिम्मत
कहाँ से लाती हैं !!
आज भी कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक
अधिकारियों ने inbox में यही बात पूछी
ये वो अधिकारी हैं जो देश के आज के हालातों से
आहत हैं, पर पद की प्रतिष्ठा से बंधे हुए हैं ,
मैंने आजतक सोशल मीडिया पर अपने बारे में
कुछ लिखा नहीं आजतक.
इसलिए अगर किसी मित्र को
मेरे इस पोस्ट से असहजता हो तो,
मैं पहले ही उनसे क्षमा मांग लेती हूँ 😊😊
और अब बताती हूँ सच बोलते रहने का राज ---
यह हिम्मत हासिल की मैंने
कुछ भी हासिल करने की इच्छा का परित्याग करके
कैरियर में आगे बढ़ने की तमाम संभावनाओं को
दरकिनार करके...
अक्सर बेरोज़गारी का दंश झेल कर
अपने बहुतेरे महत्वाकांक्षी साथियों की
अवहेलना झेल कर
भैया-दादा-चाचा का संबंध नहीं बनाकर
अपनी योग्यताएं को, नाकारा-बेवकूफ वरिष्ठों से
नकारे जाने के बाद भी देश और समाज के प्रति
सही और ग़लत का भाव जिन्दा रख कर
कुछ भी हो जाए, किसी भी हाल में रहना पड़े
फिर भी, आत्मसम्मान से समझौता नहीं करने का
हौसला बनाए रख कर
सामाजिक सौहार्द और भारत के संविधान के प्रति
प्राण पण से निष्ठा रख कर...
बहुत कम उम्र से देश विदेशों में काम किया,
टीवी-सिनेमा में अभिनय किया,
बिहार से विधान सभा का चुनाव भी लड़ लिया
नज़र नीची ना करनी पड़े
किसी का हाथ , व्यवसायिक हितों के लिहाज़ से
मेरे कंधे ना पड़े, इस ख़ातिर बड़े बड़े, राजनीतिक प्रस्तावों को ठुकरा दिया...
विश्व के सबसे बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया.
32 साल गुजर गए, काम करते करते
पर अभी भी खुद को ही 32 साल का ही महसूस करती हूं 😂😂
बहुत सारे ऐसे बिन्दु हैं, जिनका ज़िक्र कर सकती हूँ यहां
पर बहुत विस्तृत हो जाएगा, मेरा खुद के उसूलों
के प्रति प्यार का विवरण, लिहाज़ा
आज मां पापा के विवाह की वर्षगांठ है
वे दोनों नारायण के श्री चरणों में सद्गति प्राप्त कर चुके हैं
वे हमेशा यही सिखाते थे कि--
सही और ग़लत का कोई व्यक्तिगत पैमाना नहीं होता
जो देश और समाज के लिए ठीक नहीं
वो तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं हो सकता
भले ही वह प्रत्यक्ष रूप से तुम पर तुरंत
असर करता ना दिखे .
और ज़िन्दगी में वो काम कभी मत करना
जो तुम, लोगों की नजरों में सही साबित होने के लिए करो
हमेशा वही करना, जिसे करने के बाद कभी
तुम्हारी अंतरात्मा ना कचोटे
जब आइने में खुद को देखो तो तुम्हें,तुम्हारी नजरों में
खोट ना दिखे. तुम्हारे फैसले, तुम्हारे आदर्शों के लिहाज़
से होने चाहिए, ना की किसी भय ,लालच, लिप्सा ,
क्रोध, दिखावे से प्रभावित होने चाहिए.
हो सकता है कि कई बार तुम्हें अफसोस हो किन्हीं कमज़ोर क्षणों में कि तुमने आसमान की उंचाइयां
हासिल कर ली होती, अगर तुमने ज़रा सी नज़रें
झुका ली होंतीं कभी.
पर जब ऐसा ख्याल आए तो तुम खुद पर फक्र करना कि
तुम कितनी मज़बूत और साहसी हो,
कि दुनियावी, क्षणभंगुर, मायावी चीजों के बिना भी
तुमने अपनी ज़िन्दगी,अपनी शर्तों पर जी.
बिना किसी ग्लानि, क्षोभ, डर और शर्म के.
और एक बात ज़िन्दगी भर गांठ बांध लेना कि कभी भी
किसी हाल में, किसी का भी भले ही वो तुम्हारा विरोधी
हो, भरोसा मत तोड़ना,
भरोसा तोड़ना, सबसे बड़ा गुनाह होता है.
और इसके लिए सामान्य सा नियम है कि, कभी भी बड़ी बातें, नकली बातें ना करना
कौक अगर किसी से कोई बात कह दी
तो हर हाल में अपनी बात का मान रखना 😊
उन्होंने अध्यात्म के साथ साथ मुझे कड़ी मेहनत
का महत्व भी सिखाया, बकौल श्री कृष्ण कि
तुम जो कर सकते हो करो, परिणाम तुम्हारे वश में नहीं
इसलिए तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो
और जो कुछ तुम्हारे नियंत्रण में ही नहीं
उसके बारे में भी तुम फिक्र मत करो
क्योंकि तुम कुछ कर ही नहीं सकते...
इसलिए अपना कर्म करो और बेफिक्र रहो.....
और बहुत सी ऐसी बातें उन्होंने सीखायीं, बताईं
जिन्होंने मुझे मानसिक और शारीरिक तौर पर
एक फौलाद सा बना दिया . मां पापा की सीख पर
मैं एक महापुराण लिख सकती हूँ, बहरहाल
आखिर में सारी बातों की एक बात कि
मैं भगवद्गीता के एक एक उपदेश में यक़ीन करती हूँ
वही उपदेश, जो कुरान ए पाक, बाइबिल, गुरू ग्रन्थ
साहिब भी हमें देते हैं
वह ये कि ---
तुम करते वही हो, जो तुम चाहते हो
पर होता वही है, जो मैं चाहता हूँ
पर, अगर तुम वो करो, जो मैं चाहता हूँ
तो तुम्हें वह सब कुछ हासिल होगा
जो तुम चाहते हो.... 😊😊
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि.....🙏
कि आप सच बोलने और करने की हिम्मत
कहाँ से लाती हैं !!
आज भी कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक
अधिकारियों ने inbox में यही बात पूछी
ये वो अधिकारी हैं जो देश के आज के हालातों से
आहत हैं, पर पद की प्रतिष्ठा से बंधे हुए हैं ,
मैंने आजतक सोशल मीडिया पर अपने बारे में
कुछ लिखा नहीं आजतक.
इसलिए अगर किसी मित्र को
मेरे इस पोस्ट से असहजता हो तो,
मैं पहले ही उनसे क्षमा मांग लेती हूँ 😊😊
और अब बताती हूँ सच बोलते रहने का राज ---
यह हिम्मत हासिल की मैंने
कुछ भी हासिल करने की इच्छा का परित्याग करके
कैरियर में आगे बढ़ने की तमाम संभावनाओं को
दरकिनार करके...
अक्सर बेरोज़गारी का दंश झेल कर
अपने बहुतेरे महत्वाकांक्षी साथियों की
अवहेलना झेल कर
भैया-दादा-चाचा का संबंध नहीं बनाकर
अपनी योग्यताएं को, नाकारा-बेवकूफ वरिष्ठों से
नकारे जाने के बाद भी देश और समाज के प्रति
सही और ग़लत का भाव जिन्दा रख कर
कुछ भी हो जाए, किसी भी हाल में रहना पड़े
फिर भी, आत्मसम्मान से समझौता नहीं करने का
हौसला बनाए रख कर
सामाजिक सौहार्द और भारत के संविधान के प्रति
प्राण पण से निष्ठा रख कर...
बहुत कम उम्र से देश विदेशों में काम किया,
टीवी-सिनेमा में अभिनय किया,
बिहार से विधान सभा का चुनाव भी लड़ लिया
नज़र नीची ना करनी पड़े
किसी का हाथ , व्यवसायिक हितों के लिहाज़ से
मेरे कंधे ना पड़े, इस ख़ातिर बड़े बड़े, राजनीतिक प्रस्तावों को ठुकरा दिया...
विश्व के सबसे बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया.
32 साल गुजर गए, काम करते करते
पर अभी भी खुद को ही 32 साल का ही महसूस करती हूं 😂😂
बहुत सारे ऐसे बिन्दु हैं, जिनका ज़िक्र कर सकती हूँ यहां
पर बहुत विस्तृत हो जाएगा, मेरा खुद के उसूलों
के प्रति प्यार का विवरण, लिहाज़ा
आज मां पापा के विवाह की वर्षगांठ है
वे दोनों नारायण के श्री चरणों में सद्गति प्राप्त कर चुके हैं
वे हमेशा यही सिखाते थे कि--
सही और ग़लत का कोई व्यक्तिगत पैमाना नहीं होता
जो देश और समाज के लिए ठीक नहीं
वो तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं हो सकता
भले ही वह प्रत्यक्ष रूप से तुम पर तुरंत
असर करता ना दिखे .
और ज़िन्दगी में वो काम कभी मत करना
जो तुम, लोगों की नजरों में सही साबित होने के लिए करो
हमेशा वही करना, जिसे करने के बाद कभी
तुम्हारी अंतरात्मा ना कचोटे
जब आइने में खुद को देखो तो तुम्हें,तुम्हारी नजरों में
खोट ना दिखे. तुम्हारे फैसले, तुम्हारे आदर्शों के लिहाज़
से होने चाहिए, ना की किसी भय ,लालच, लिप्सा ,
क्रोध, दिखावे से प्रभावित होने चाहिए.
हो सकता है कि कई बार तुम्हें अफसोस हो किन्हीं कमज़ोर क्षणों में कि तुमने आसमान की उंचाइयां
हासिल कर ली होती, अगर तुमने ज़रा सी नज़रें
झुका ली होंतीं कभी.
पर जब ऐसा ख्याल आए तो तुम खुद पर फक्र करना कि
तुम कितनी मज़बूत और साहसी हो,
कि दुनियावी, क्षणभंगुर, मायावी चीजों के बिना भी
तुमने अपनी ज़िन्दगी,अपनी शर्तों पर जी.
बिना किसी ग्लानि, क्षोभ, डर और शर्म के.
और एक बात ज़िन्दगी भर गांठ बांध लेना कि कभी भी
किसी हाल में, किसी का भी भले ही वो तुम्हारा विरोधी
हो, भरोसा मत तोड़ना,
भरोसा तोड़ना, सबसे बड़ा गुनाह होता है.
और इसके लिए सामान्य सा नियम है कि, कभी भी बड़ी बातें, नकली बातें ना करना
कौक अगर किसी से कोई बात कह दी
तो हर हाल में अपनी बात का मान रखना 😊
उन्होंने अध्यात्म के साथ साथ मुझे कड़ी मेहनत
का महत्व भी सिखाया, बकौल श्री कृष्ण कि
तुम जो कर सकते हो करो, परिणाम तुम्हारे वश में नहीं
इसलिए तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो
और जो कुछ तुम्हारे नियंत्रण में ही नहीं
उसके बारे में भी तुम फिक्र मत करो
क्योंकि तुम कुछ कर ही नहीं सकते...
इसलिए अपना कर्म करो और बेफिक्र रहो.....
और बहुत सी ऐसी बातें उन्होंने सीखायीं, बताईं
जिन्होंने मुझे मानसिक और शारीरिक तौर पर
एक फौलाद सा बना दिया . मां पापा की सीख पर
मैं एक महापुराण लिख सकती हूँ, बहरहाल
आखिर में सारी बातों की एक बात कि
मैं भगवद्गीता के एक एक उपदेश में यक़ीन करती हूँ
वही उपदेश, जो कुरान ए पाक, बाइबिल, गुरू ग्रन्थ
साहिब भी हमें देते हैं
वह ये कि ---
तुम करते वही हो, जो तुम चाहते हो
पर होता वही है, जो मैं चाहता हूँ
पर, अगर तुम वो करो, जो मैं चाहता हूँ
तो तुम्हें वह सब कुछ हासिल होगा
जो तुम चाहते हो.... 😊😊
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि.....🙏
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