Ruby Arun

Monday, 9 August 2021

हमारी ख़ू थी ,जो भेजा किये उनको खतूत उनको ख़तूत....

 ज़ुल्म ख़ुद पर करने का, हम को अजब ये शौक़ है......

बज़्म-ए-ख़ूबाँ में हम ,अपने दिल को बहलाने गये......

ये हमारी ख़ू थी ,जो भेजा किये उनको ख़तूत.......

वो मगर किसी गैर से क्यों तहरीर पढ़वाने गये............

दोपहर की रौशनी में ,लगते हैं शफ़्फ़ाफ़ सब.............

रात जो आयी ,बदन के दाग़ पहचाने गये..........

है नहीं उम्मीद भी ,उनसे शफ़ाक़त की हमें.........

चाक-ए-दिल ,ख़ून-ए-जिगर,दुनिया को दिखलाने गये.......

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