देखिये तो उम्र भर हम ....
किस क़दर मसरूफ़ थे..
सोचिये तो जिन्दगी भर...
......क्या किया...
.....कुछ भी नहीं......
उम्र भर की ये इबादत ....
........और दुआ कुछ भी नहीं...
दिल अगर बेसिम्त हो ....
किबलानुमा कुछ भी नहीं.......
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