Ruby Arun

Monday, 9 August 2021

खुशरंग कर जाता है तुम्हारे होने का एहसास

 अकेलेपन से अब.....जब भी जी घबराता है.....

तब ...मैं बिखेर देती हूँ ज़मीं पर तुम्हारी उन्ही आहटों को..

जिन्हें.......तुम्हारे जाते-जाते...... 

समेट लिया था मैंने अपने आगोश में .....

तुम्हारे अपने इर्द-गिर्द होने का एहसास.....

खुशरंग कर जाता है मुझे....

फिर...अकेलापन.. मुझे डरा नहीं पाता.......!!

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