Ruby Arun

Sunday 18 July 2021

#पेगासस #pegasus की जासूसी,#इजरायल और #भारत सरकार

 #इजरायली #pegasus की मदद से भारत सरकार

द्वारा देश के जजों,पत्रकारों,अधिकारियों,मंत्रियों के #phonetapping को लेकर आज शोर इसलिए हो रहा है क्योंकि #israel और #america ऐसा ही चाह रहे हैं.

हालांकि भारत सरकार,इन आरोपों से इंकार कर रही.

इंतजार कीजिए

जिन्होंने सपोर्ट किया है,वही धीरे धीरे सारे राज

फाश करेंगे

.

वरना ये कोई छुपी हुती बात तो थी नहीं.

चार साल पहले #kejariwal ने तो एक public program में भी यह बात की थी. 


अंदरखाने सबको पता है #2015 से ही इस काम के

लिए एक टीम भी गठित की गई थी बाकायदा 

#SIT टाइप. दफ्तर है इसका, स्टाफ है वहां.

बहुत ही महंगी मशीने लगी हैं PHONE TAPPING की.

ना सिर्फ फोन टेप होता है ,बल्कि #manuscript

बनाकर पूरी फाइल तैयार की जाती है. जो संबंधित

व्यक्ति पर दबाव डालने के काम आती है.

एक आदमी की जासूसी में लगभग 60 करोड़ खर्च किया

जाता है. हमारे आपके #tax का पैसा ...


उधर,भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्विटर पर

लिखा-

ऐसी खबरें सुनने में आ रही हैं कि रविवार शाम को वाशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्डियन भारत में पेगासस के

इस्तेमाल से जुड़ी एक अहम रिपोर्ट प्रकाशित कर सकती

हैं.ऐसी मजबूत अफवाहें हैं कि आज शाम को वाशिंगटन

पोस्ट और लंदन गार्डियन एक रिपोर्ट प्रकाशित करने जा

रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि मोदी सरकार के कैबिनेट

मंत्रियों, आरएसएस नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जजों और

पत्रकारों के फोन टेप करने के लिए पेगासस की सेवाएं

ली गई हैं...

पेगासस स्पाइवेयर के जरिये हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ईमेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है..
पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो स्ट्रीम सुनने और एन्क्रिप्टेड मैसेज को पढ़ने की अनुमति देता है.
यानी हैकर के पास आपके फोन की लगभग सभी फीचर तक पहुंच होती है..

#pegasus है क्या ?

फ्रांस की संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी
इंटरनेशनल ने मिलकर दुनिया के विभिन्न देशों के तानाशाहों द्वारा करवाई जा रही जासूसी की जानकारी जुटाई और फिर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से उन जानकारियों को साझा किया.
इस पूरी तफ्तीश को ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया है. जासूसी वाली लिस्ट में 1500 से ज्यादा नाम मिले है.
आपको शायद याद जो की द वॉशिंगटन पोस्ट के कॉलमनिस्ट जमाल खशोगी की हत्या में पेगासस स्पाइवेयर का भी नाम आया था.
दिसंबर 2020 में अल जजीरा के कई पत्रकारों पर पेगासस के जरिये जासूसी करने की खबर का खुलासा हुआ था.
#पेगासस का पहला क्लाइंट मेक्सिको था. फिर दुनिया के कई और देशों ने इसकी सेवा ली.


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