एक रहन #मोदी
एक रहन #मादी
अउर देश भर में रहन #मंदी...
मादी माने मधु शर्मा. जो मोदी सरकार द्वारा
देश में पैदा की गई मंदी पर पर्दा डालने के लिए
कश्मीर के नाम पर चरम राष्ट्रवाद का शर्मनाक
आडंबर सजा कर, देशवासियों को बेवकूफ बना रही है.
2014 लोकसभा चुनाव के बाद PM मोदी के बगल में लड़कियों का दलाली के जुर्म में जेल जाने वाला टीनू जैन खड़ा था,
वैसे ही 2019 चुनाव के बाद PM मोदी के बगल में मादी उर्फ मधु शर्मा इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर अर्थात व्यापारियों की दलाल खड़ी है.
काले सूट में प्रधानमंत्री के पीछे खड़ी महिला का नाम #मादीशर्मा है जिसने अपने प्रोफाइल में खुद का परिचय International Business Broker ( अंतराष्ट्रीय बिज़नेस दलाल) लिखा है.
मादी शर्मा का एक एनजीओ है..
जिसका नाम WESTT women's economic and social Think Tank.
मोदी की इस मादी शर्मा के NGO की कुल आर्थिक वक़त मात्र 19 लाख रुपए हैं और उसे अभी तक महज़ 24000 रुपये का ही फंड माला है.
लेकिन यही मादी शर्मा सैकड़ों करोड़ खर्च कर चुकी है 27 EU सांसद मेहमानों की सेवा में.
ताकि कश्मीर के सच को छुपाया जा सके.
अब सवाल ये है कि
एक इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर का कश्मीर से क्या लेना देना?
भारत सरकार को कश्मीर के मामले में इंटरनेशनल ब्रोकर की ज़रूरत क्यों पड़ी ?
चुनिंदा युरोपियन सांसदों का अंतर्राष्ट्रीय ब्रोकर द्वारा आयोजित कश्मीर का निजी दौरा सरकार पर अनेक संदेहात्मक सवाल खड़े कर रहा है .
विदेश मंत्रालय के रहते ,जब बेहद संवेदनशील मसलों पर भी कूटनीति और विदेश नीति की का काम व्यापारिक दलाल करने लगें तो मतलब साफ है कि हमारे देश को अब दलालों के ही
हवाले कर दिया गया है.
सोचिए कि भाजपा शासनकाल में ब्रोकर्स कितने ताकतवर हो गए है कि मादी शर्मा जैसे बिचौलिए हमारे भारत का भविष्य लिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री को देश को यह बताना ही होगा कि उनकी सरकार ने भारत की कूटनीति को एक बिजनेस ब्रोकर के हाथों, कैसे सौंप दिया...
PM बताएं कि ‘मैडी शर्मा’ कौन है?
एक बिजनेस ब्रोकर द्वारा प्रायोजित कश्मीर की इस यात्रा का पैसा कहाँ से आ रहा है?
इस पूरे मामले में देश के विदेश मंत्रालय को दरकिनार क्यों रखा गया?
क्या सरकार विदेश मंत्रालय के भी निजी करण का मन बना चुकी है ?
मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर बिलकुल सड़कछाप नीति अपनाई है,यूरोपियन सांसदों के दौरे का आयोजन ब्रोकर मादी शर्मा के माध्यम से करवा कर न सिर्फ हम देशवासियों को शर्मसार किया है वरन् कश्मीर को स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है....
bjp4india का मादी के NGO, WESTT से क्या संबंध है ? मादी शर्मा ने EU सांसदों की मोदी जी के साथ मुलाकात करवाई, ऐसे में MEA ने इसपर चुप्पी क्यों साधी हुई है ?
न भारत ने बुलाया न ईयू ने भेजा.
यूरोप के धुर दक्षिणपंथी सांसद अपने आप आ गए फिर भी स्वागत पीएम ने किया ?
रिपोर्ट एनएसए ने किया और व्यवस्था सरकार ने की? मादी शर्मा ने निमंत्रण दिया ?
70 साल की समस्या चार महीने में दूर करने का दावा और रणनीति के नाम पर मादी शर्मा ??
मादी शर्मा कौन हैं? इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन अलाइड स्टडीज़ क्या है? इसके प्रमुख अंकित श्रीवास्तव किसके कहने पर 27 सांसदों के भारत दौरे का खर्चा देते हैं?
क्या यह सारे सवाल महत्वपूर्ण नहीं हैं?
आखिर इन सवालों पर चुप्पी क्यों है?
चुंकी कश्मीर और कश्मीर से इतर भी पिछले कुछ महीनों से देश में जो कुछ भी हो रहा है
वह देश के लिए बेहद घातक है.
और इन सबके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ही ज़िम्मेदार है इसलिए
चुप रहने से काम नहीं चलनेवाला मिस्टर नरेंद्र मोदी. आपको इस मसले पर देश को जवाब देना ही होगा.
एक रहन #मादी
अउर देश भर में रहन #मंदी...
मादी माने मधु शर्मा. जो मोदी सरकार द्वारा
देश में पैदा की गई मंदी पर पर्दा डालने के लिए
कश्मीर के नाम पर चरम राष्ट्रवाद का शर्मनाक
आडंबर सजा कर, देशवासियों को बेवकूफ बना रही है.
2014 लोकसभा चुनाव के बाद PM मोदी के बगल में लड़कियों का दलाली के जुर्म में जेल जाने वाला टीनू जैन खड़ा था,
वैसे ही 2019 चुनाव के बाद PM मोदी के बगल में मादी उर्फ मधु शर्मा इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर अर्थात व्यापारियों की दलाल खड़ी है.
काले सूट में प्रधानमंत्री के पीछे खड़ी महिला का नाम #मादीशर्मा है जिसने अपने प्रोफाइल में खुद का परिचय International Business Broker ( अंतराष्ट्रीय बिज़नेस दलाल) लिखा है.
मादी शर्मा का एक एनजीओ है..
जिसका नाम WESTT women's economic and social Think Tank.
मोदी की इस मादी शर्मा के NGO की कुल आर्थिक वक़त मात्र 19 लाख रुपए हैं और उसे अभी तक महज़ 24000 रुपये का ही फंड माला है.
लेकिन यही मादी शर्मा सैकड़ों करोड़ खर्च कर चुकी है 27 EU सांसद मेहमानों की सेवा में.
ताकि कश्मीर के सच को छुपाया जा सके.
अब सवाल ये है कि
एक इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर का कश्मीर से क्या लेना देना?
भारत सरकार को कश्मीर के मामले में इंटरनेशनल ब्रोकर की ज़रूरत क्यों पड़ी ?
चुनिंदा युरोपियन सांसदों का अंतर्राष्ट्रीय ब्रोकर द्वारा आयोजित कश्मीर का निजी दौरा सरकार पर अनेक संदेहात्मक सवाल खड़े कर रहा है .
विदेश मंत्रालय के रहते ,जब बेहद संवेदनशील मसलों पर भी कूटनीति और विदेश नीति की का काम व्यापारिक दलाल करने लगें तो मतलब साफ है कि हमारे देश को अब दलालों के ही
हवाले कर दिया गया है.
सोचिए कि भाजपा शासनकाल में ब्रोकर्स कितने ताकतवर हो गए है कि मादी शर्मा जैसे बिचौलिए हमारे भारत का भविष्य लिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री को देश को यह बताना ही होगा कि उनकी सरकार ने भारत की कूटनीति को एक बिजनेस ब्रोकर के हाथों, कैसे सौंप दिया...
PM बताएं कि ‘मैडी शर्मा’ कौन है?
एक बिजनेस ब्रोकर द्वारा प्रायोजित कश्मीर की इस यात्रा का पैसा कहाँ से आ रहा है?
इस पूरे मामले में देश के विदेश मंत्रालय को दरकिनार क्यों रखा गया?
क्या सरकार विदेश मंत्रालय के भी निजी करण का मन बना चुकी है ?
मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर बिलकुल सड़कछाप नीति अपनाई है,यूरोपियन सांसदों के दौरे का आयोजन ब्रोकर मादी शर्मा के माध्यम से करवा कर न सिर्फ हम देशवासियों को शर्मसार किया है वरन् कश्मीर को स्वयं ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है....
bjp4india का मादी के NGO, WESTT से क्या संबंध है ? मादी शर्मा ने EU सांसदों की मोदी जी के साथ मुलाकात करवाई, ऐसे में MEA ने इसपर चुप्पी क्यों साधी हुई है ?
न भारत ने बुलाया न ईयू ने भेजा.
यूरोप के धुर दक्षिणपंथी सांसद अपने आप आ गए फिर भी स्वागत पीएम ने किया ?
रिपोर्ट एनएसए ने किया और व्यवस्था सरकार ने की? मादी शर्मा ने निमंत्रण दिया ?
70 साल की समस्या चार महीने में दूर करने का दावा और रणनीति के नाम पर मादी शर्मा ??
मादी शर्मा कौन हैं? इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन अलाइड स्टडीज़ क्या है? इसके प्रमुख अंकित श्रीवास्तव किसके कहने पर 27 सांसदों के भारत दौरे का खर्चा देते हैं?
क्या यह सारे सवाल महत्वपूर्ण नहीं हैं?
आखिर इन सवालों पर चुप्पी क्यों है?
चुंकी कश्मीर और कश्मीर से इतर भी पिछले कुछ महीनों से देश में जो कुछ भी हो रहा है
वह देश के लिए बेहद घातक है.
और इन सबके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ही ज़िम्मेदार है इसलिए
चुप रहने से काम नहीं चलनेवाला मिस्टर नरेंद्र मोदी. आपको इस मसले पर देश को जवाब देना ही होगा.
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