Ruby Arun

Wednesday, 18 January 2012

वो लड़की शायद पगली थी ........

वो लड़की शायद पगली थी ....दिन रात ही गुम सुम रहती थी..... कुछ शर्मो हया का पेकर थी .....कुछ नर्म मिज़ाज रखती थी ...... आँखों में नीम नशा सा था ....बातों से दीवानी लगती थी ...... हमराज़ ना था उसका कोई ....बस खुद से बातें करती थी ..... इक शर्म के आँचल में अक्सर .....जज्बात छुपाये रखती थी .. डरती थी जुदा हो जाने से .....या प्यार से शायद डरती थी ..... क्या सब्र था उस दीवानी का .....क्या ज़ब्ते मुहब्बत रखती थी ...... है रश्क मुझे उस पगली पे ....क्या खूब मुहब्बत करती थी .... क्या खूब मुहब्बत करती थी .....वो लड़की शायद पगली थी ........

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