मेरे नाम का ज़िक्र... हवाओं के सहन में रहे....
मेरे ख्यालों की फ़िक्र... सब के ज़हन में रहे....
फिर कलम तोड़ दो मेरी....या दार पे चढा दो....
मेरे दीवान का सफ़र....हिंद के घरों में रहे.....!!
मेरे ख्यालों की फ़िक्र... सब के ज़हन में रहे....
फिर कलम तोड़ दो मेरी....या दार पे चढा दो....
मेरे दीवान का सफ़र....हिंद के घरों में रहे.....!!
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